जीविका को स्वाबलंबी बनाने की योजना धरातल पर उतरने से पहले ही तोड़ा दम

पकरीबरावां : कोरोना महामारी में जीविका को स्वावलंबी बनाने की योजना धरातल पर उतरने से पहले ही दम तोड़ दिया है। भले ही बिहार सरकार पंचायती राज विभाग अपने गोपनीय पत्रांक 19/1/4/2020 से दिनांक 11 मई 2020 को सभी जिला पदाधिकारी एवं उप विकास आयुक्त को पंचायतों में वितरण होने वाले मास्क की खरीदारी करने के लिए जीविका को पहली प्राथमिकता दी थी। परंतु पकरीबरावां प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में शुभ-लाभ के चक्कर में मुखिया जीविका को दरकिनार कर मास्क की खरीदारी की है। वहीं जीविका के प्रबंधक उत्तम कुमार बताते हैं कि जिला द्वारा उन्हें कुल 1 लाख 20 हजार मास्क प्रखंड स्तर पर बनाने का लक्ष्य दिया गया था। मास्क सिलाई के लिए कुल 36 महिलाओं का चयन किया गया था। उन महिलाओं ने दिन-रात एक कर मास्क बनाने की तैयारी जब शुरू की तो एक नया मामला सामने आ गया कि कई पंचायत के मुखिया दूसरे शहरों से ही मास्क खरीद कर मंगा रखे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जिन महिलाओं से मास्क का निर्माण कराया जा रहा था। उनमें अधिकांश महिलाएं विधवा एवं लाचार थी जिनका किसी भी तरफ से जीविकोपार्जन नहीं हो पा रहा था। ऐसे हालात में उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए जीविका ने कार्य पर लगाया था परंतु पंचायतों के मुखिया एवं पंचायत सचिव के मनमाने के कारण उनके स्वाबलंबी बनाने का सपना अधूरा रह गया। भले ही राज्य सरकार जीविका दीदी को स्वावलंबी बनाने के लिए कई प्रयास कर रही है परंतु शुभ लाभ का चक्कर जीविका दीदी के विकास में बाधा बन गया है।

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जीविका से खरीद को देनी थी प्राथमिकता
- बताते चलें कि बिहार सरकार पंचायती राज विभाग अपने पत्र में यह भी लिखा है, कि पंचायत स्तर पर सर्वप्रथम जीविका से मास्क खरीदे जाने हैं। यदि जीविका मास्क उपलब्ध नहीं करा पाती है तो खादी ग्राम उद्योग या फिर पंचायत लोगों को स्वावलंबी बनाने के लिए कपड़े खरीद कर मास्क सिलवाए। परंतु मुखिया द्वारा इन तीनों में किसी का अनुपालन नहीं किया गया। जीविका के प्रबंधक एवं कई जीविका दीदी बताती है कि उनके पास 1 लाख से ज्यादा मास्क सिलने की क्षमता थी परंतु किसी भी पंचायत से मुखिया द्वारा जीविका कार्यालय में संपर्क ही नहीं साधा गया कि उन्हें मास्क की खरीदारी करनी है। अब विडंबना है की मुखिया शुभ लाभ के चक्कर में सरकार के आदेश को भी नहीं मानते भले ही सरकार जीविका को भी समाज के बराबर लाकर उन्हें अपना अधिकार दिलाना चाहती है परंतु उनका अधिकार आखिर कैसे मिल पाएगा यह तो अधिकारी ही बता सकते हैं। पत्र में यह भी वर्णित है की पंचायतों में प्रत्येक घरों में 4 मास्क एवं साबुन जिसकी कीमत 100 रुपए तक होगी परंतु आज भी यह साबुन और मास्क प्रदान किए जाने वाली पंचम वित्त योजना का लाभ घर घर तक नहीं पहुंच पाया है। कई पंचायतों में सिर्फ नाम मात्र मास्क एवं साबुन का वितरण कर योजना की राशि को न्यारा व्यारा कर दिया गया है। जानकार यह भी बता रहे हैं कि कई मुखिया द्वारा मास्क एवं साबुन वितरण की जिम्मेदारी वार्ड सदस्य को सौंपी गई है परंतु आज भी लगभग सभी पंचायतों में सैकड़ों घरों में इसका लाभ प्रदान नहीं किया गया है कुल मिलाकर साबुन और मास्क घर-घर तक पहुंचाने वाली योजना मुखिया के लिए दुधारू गाय साबित हुई है।
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लक्ष्य के अनुकूल जीविका से इन पंचायतों ने किया मास्क की खरीदारी 1- डुमरावां- 14 हजार पीस
लागत- 2 लाख10 हजार
2- धमौल- 4 हजार
लागत-60 हजार
3- दतरौल-9 हजार
लागत- 1 लाख 35 हजार
4- एरुरी -4 हजार
लागत- 60 हजार
5- पकरीबरावां उतरी -4 हजार
लागत-60 हजार
Posted By: Jagran
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