तबलीगी जमात: 14 देशों के नागरिकों को रिहा करने की मिली इजाजत

दिल्ली की एक अदालत ने 14 देशों के विदेशी नागरिकों द्वारा 'प्ली बार्गेनिंग प्रक्रिया' के तहत हल्के आरोपों को स्वीकार करने पर अलग-अलग जुर्माना राशि के भुगतान के बाद उन्हें रिहा करने की अनुमति दे दी। कोविड-19 को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान वीजा नियमों सहित विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन कर तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उन पर मामले दर्ज किए गए थे। वकील ने बताया कि हालांकि पांच देशों के विदेशियों ने अदालत के सामने मुकदमे का सामना करने की बात कही है।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हिमांशु ने अल्जीरिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, मिस्र और फिलिपींस के विदेशी नागरिकों को 10-10 हजार रुपये जुर्माना भरने के बाद रिहा करने की अनुमति दे दी।
एक अन्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आशीष गुप्ता ने सूडान के पांच नागरिकों को पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना राशि भरने पर उन्हें रिहा करने की अनुमति प्रदान की। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पारस दलाल ने चीन, मोरक्को, यूक्रेन, इथिओपिया, फिजी, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, अफगानिस्तान के नागरिकों को पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना भरने पर रिहा करने की अनुमति दे दी। उन्हें रिहा करने की अनुमति तब दी गई जब मामले में शिकायतकर्ता लाजपत नगर के डिविजनल मजिस्ट्रेट, लाजपत नगर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, निजामुद्दीन के निरीक्षक ने कहा कि उन्हें उनकी याचिका पर कोई आपत्ति नहीं है।
हालांकि, सूडान के दो नागरिकों, जॉर्डन, अमेरिका, रूस, कजाकिस्तान और ब्रिटेन में रहने वाले एक प्रवासी भारतीय ने हल्के आरोपों को स्वीकार नहीं किया और मुकदमे का सामना करने की बात कही। आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील आशिमा मंडला, मंदाकिनी सिंह, फहीम खान और अहमद खान ने इस बारे में बताया। 'प्ली बार्गेनिंग प्रक्रिया' के तहत आरोपी कम सजा के लिए अपना गुनाह मान लेते हैं।
अपराध दंड संहिता के तहत जहां पर सात साल अधिकतम जेल की सजा का प्रावधान है और जिस अपराध से समाज की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर फर्क नहीं पड़ता है और जब किसी महिला या 14 साल से कम उम्र के बच्चे के खिलाफ कोई अपराध नहीं हुआ है तो ऐसी याचिका दाखिल की जा सकती है।
जमात से जुड़े किर्गिस्तान के 85 नागरिकों को मिली जमानत
दिल्ली की एक अदालत ने तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर वीजा नियमों का उल्लंघन करने के आरोपी किर्गिस्तान के 85 नागरिकों को सोमवार को जमानत दे दी। इन लोगों के खिलाफ वीजा नियमों के उल्लंघन के अलावा अवैध रूप से धर्म प्रचार करने और कोविड-19 से संबंधित सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहिना कौर ने 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर इन लोगों को जमानत दी। अदालत ने अब तक इस मामले में 34 देशों के 532 विदेशी नागरिकों को जमानत दी है। पुलिस ने जून में इस मामले में 36 विभिन्न देशों के 956 विदेशी नागरिकों के खिलाफ 59 आरेाप पत्र दायर किए थे।
इन लोगों की ओर से पेश वकीलों आशिमा मंडला, मंदाकिनी सिंह और फहीम खान ने कहा कि जिन आरोपियों को सोमवार को जमानत मिली हैं, वे मंगलवार को समझौता आवेदन (प्ली बार्गेनिंग एप्लिकेशन) देंगे। इस तरह के आवेदन के तहत आरोपी अपना दोष स्वीकार कर लेता है और कम दंड देने की याचना करता है।
दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जिन मामलों में अधिकतम सजा सात वर्ष है, जो अपराध समाज की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को प्रभावित नहीं करते हों और जो अपराध महिला अथवा 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के खिलाफ न हों, उनमें समझौता आवदेन देने की इजाजत होती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवाई के दौरान सभी विदेशी नागरिक अदालत के समक्ष पेश किए गए थे। इससे पूर्व जांच अधिकारी ने अदालत को बताया था कि मामले में 956 विदेशियों के खिलाफ जांच पूरी हो गई है।
केंद्र ने आरोपियों के वीजा रद्द कर उन्हें ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। हालांकि, इन आरोपियों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है और ये लोग दिल्ली हाईकोर्ट की मंजूरी से विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं।
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में मार्च में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में कम से कम 9,000 लोग शामिल हुए थे।

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