स्कूली बच्चों को एमडीएम के बदले चावल व नकद रुपये भुगतान का निर्देश

नवादा: कोरोना के कारण स्कूलों में तालाबंदी और गर्मी छुट्टी की अवधि के मध्याहन भोजन का चावल व नगद रुपये अब बच्चों को दिया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा इससे संबंधित आदेश जारी कर दिया गया है। जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच सरकार के स्तर से ही राशन व राशि के वितरण का फैसला किया गया था। जिले के 1662 प्राथमिक व मध्य विद्यालय के बच्चों के बीच लगभग चौबीस हजार क्विटल चावल का वितरण किया जाना है।

कोरोना वायरस की रोकथाम व गर्मी की छुट्टी के दिनों की सरकारी स्कूलों में नामांकित छात्र-छात्राओं को मध्याहन भोजन के बदले 80 कार्यदिवस का खाद्यान्न दिया जाएगा। इसके लिए सभी प्रधान शिक्षकों को आवश्यक निर्देश दिया गया है। परन्तु विद्यार्थियों के एवज में विद्यालयों में खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है। वहीं विभाग द्वारा इतनी मात्रा में सभी विद्यालयओं को एक साथ खाद्यान्न उपलब्ध करना लोहे के चने चबाने जैसा कार्य होगा। जिसके कारण शिक्षकों के समक्ष परेशानी तय है। वहीं दूसरी ओर प्रधान शिक्षक सूखा राशन के वितरण में सहयोग नहीं करने की बात कर रहे हैं। जिसके कारण सरकार के इस प्रस्ताव पर ग्रहण लग सकता है।
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80 दिनों के एवज में मिलेगा खाद्यान्न
- मई में 24 कार्य दिवस, जून में 30 व जुलाई माह में 26 कार्य दिवस सहित कुल 80 कार्यदिवस का खाद्यान्न स्कूली बच्चों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस दौरान वर्ग एक से पांच वर्ग के बच्चों को सौ ग्राम के हिसाब से आठ किलो तथा वर्ग छह से आठ वर्ग तक के बच्चों को प्रति कार्यदिवस डेढ़ सौ ग्राम के हिसाब से बारह किलो चावल दिया जाएगा।
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डीबीटी के माध्यम से जाएगी खाते में राशि
- बच्चों के खाते में राशि भी हस्तांतरित किया जाएगा। वर्ग एक से पांच के बच्चों को 4.97 रुपये के हिसाब से 397 रुपये तथा छह से आठ वर्ग के बच्चों को 7.45 रुपये के हिसाब से 596 रुपये दिया जाएगा। यह राशि डीबीटी के माध्यम से विद्यालय शिक्षा समिति द्वारा बच्चों के खाते में भेज दी जाएगी।
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वितरण में आएगी परेशानी
- खाद्यान्न वितरण के दौरान शिक्षकों के समक्ष काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। क्योकि जो बच्चे विद्यालय नहीं आते हैं वे खाद्यान्न का चावल लेने में सबसे आगे रहेंगे। ऐसे में अभिभावकों व शिक्षकों के बीच विवाद उत्पन्न होना लाजमी है।
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तौल में भी रहती है कमी
- मध्याहन भोजन के लिए स्कूलों में आने वाला चावल भी प्रति बोरा कम रहता है। प्रत्येक बोरा में पचास किलो की जगह 45 किलोग्राम के आसपास चावल रहता है। जिसके कारण भी वितरण में परेशानी आएगी। जो विवाद का कारण बन सकता है।
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शिक्षक कर चुके हैं वितरण कार्य से अलग रहने की घोषणा
- विद्यालय में आने वाले परेशानी को देखते हुए शिक्षकों ने इससे अपने को अलग रखते हुए खाद्यान्न का वितरण नहीं करने का फैसला लिया है। इसकी भी कई शिक्षक संघ ने सरकार व विभाग को पत्र लिखकर इससे शिक्षकों को अलग रखने की मांग किया है। ताकि एक बार फिर स्कूलों में शिक्षकों व अभिभावकों के बीच विवाद न उत्पन्न हो जाए। साथ ही कहा है कि खाद्यान्न का वितरण जनवितरण प्रणाली से कराया जाय।
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कहते हैं शिक्षक
-मध्याहन भोजन चावल के वितरण से शिक्षकों को अलग रखा जाए। क्योंकि लॉक डाउन में शिक्षकों को विद्यालय आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। किसी स्थानीय एजेंसी के माध्यम से बच्चों के बीच चावल का वितरण कराया जाना चाहिए।
अशोक कुमार सिंह, प्रभारी प्रधानाध्यापक, प्राथमिक विद्यालय उर्दू-वन, पार नवादा।
सह जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ, नवादा। ़फोटो
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- मध्याहन भोजन चावल वितरण में थोड़ी बहुत परेशानी आ सकती है। परंतु हम शिक्षकों को सरकार का निर्देश का पालन करना है। पूरा प्रयास रहेगा कि शांति पूर्वक चावल का वितरण संपन्न कराया जा सके। नियमित रूप से आने वाले हर बच्चों को मध्यान्ह भोजन का चावल मिल सके।
सुनील दत्त, प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय कुंज, रोह। ़फोटो-
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-कोरोना काल में अभिभावकों व बच्चों के साथ मिलकर चावल का वितरण उचित नहीं है। ऐसे में सुरक्षित शिक्षक भी कोरोना की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा शिक्षकों की सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की किट भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। चावल के पैक बोरा में भी 50 किलो की जगह चार पांच किलो मात्रा कम रहता है। वह वितरण के दौरान परेशानी का सबब बन सकता है।
विनायक प्रभाकर, प्रभारी प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिकंदरा, नवादा।
सह जिलाअध्यक्ष परिवर्तनकारी शिक्षक संघ नवादा
Posted By: Jagran
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