जयनगर में अत्याधुनिक बराज निर्माण का एस्टीमेट तैयार, बड़े क्षेत्र को मिलेगी बाढ़ से सुरक्षा व सिचाई सुविधा

मधुबनी। जिला अंतर्गत जयनगर में कमला नदी पर निर्मित पुराने वीयर को अत्याधुनिक बराज में बदलने के लिए जल संसाधन विभाग ने 405.66 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कर लिया है। इस योजना को राज्य मंत्रिमंडल से स्वीकृति मिलने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। जयनगर में बराज के निर्माण से मिथिला के बड़े क्षेत्र को कमला नदी की बाढ़ से राहत मिलेगी। साथ ही मधुबनी जिले में 44,960 हेक्टेयर क्षेत्र में सिचाई सुविधा प्राप्त होगी, जिससे मुख्यत: जयनगर, बासोपट्टी, खजौली, लदनिया, कलुआही एवं हरलाखी प्रखंडों के किसान लाभान्वित होंगे। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि जुलाई 2019 में कमला नदी में आई भीषण बाढ़ के दौरान वीयर के डेक स्लैब के ऊपर से पानी प्रवाहित हो गया था। इससे वीयर के दाएं और बाएं मार्जिनल बांध में टूट आ गई थी। उसके बाद ही उन्होंने जल संसाधन विभाग की ओर से आईआईटी रुड़की के जाने-माने विशेषज्ञ नयन शर्मा को यह जिम्मेवारी सौंपी कि वे इलाके का अध्ययन कर कमला की बाढ़ का दीर्घकालिक समाधान सुझाएं। नयन शर्मा की रिपोर्ट में कमला वीयर को बराज में परिवर्तित करने पर जोर दिया गया था। तभी से उन्होंने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया था। जल संसाधन विभाग की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार करवा कर उसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ध्यान में लाया गया।

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सीएम ने 24 जून को की थी अत्याधुनिक बराज निर्माण की घोषणा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस वर्ष 24 जून को जयनगर का दौरा किया था। तब उन्होंने कमला वीयर को बराज में बदलने के जल संसाधन विभाग के प्रस्ताव को मौके पर ही हरी झंडी देते हुए यहां अत्याधुनिक बराज के निर्माण का एलान कर दिया था। उसी के अनुरूप जल संसाधन विभाग ने यहां मशीन से संचालित ऑटोमेटिक बराज के निर्माण की पूरी योजना तैयार कर ली है। गौरतलब है कि जयनगर में कमला नदी पर पांच दशक पहले निर्मित पुराने वीयर में फॉलिग शटर का प्रावधान है। कमला नदी में बाढ़ आने पर वीयर के अपस्ट्रीम में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हो जाता है, जिससे फॉलिग शटर जाम हो जाता है। कमला नदी में पानी घटने पर शिल्ट को हटा कर फॉलिग शटर को उठाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कई दिनों तक नहर में पानी का प्रवाह काफी कम हो जाता है। इस कारण वीयर से निर्धारित क्षमता के अनुरूप सिचाई का लाभ नहीं मिल पाता है। इसके अलावा दूसरी समस्या यह है कि कमला वीयर का निर्माण कमला नदी के अधिकतम जलश्राव एक लाख 40 हजार क्यूसेक के आधार पर किया गया है, जबकि 2019 में वीयर साइट पर लगभग दो लाख 19 हजार सात सौ क्यूसेक अधिकतम जलश्राव प्रवाहित हुआ।
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44 हजार 960 हेक्टेयर क्षेत्र में मिलेगी सिचाई सुविधा : उक्त दोनों समस्याओं के मद्देनजर कमला वीयर के पौंड लेवल को ऊंचा करते हुए अत्याधुनिक बराज के निर्माण की योजना तैयार की गई है। पौंड लेवल ऊंचा करने से यहां अधिक पानी रोका जा सकेगा। इससे पानी का समेकित प्रबंधन होगा और मधुबनी और दरभंगा जिला सहित मिथिला के बड़े क्षेत्र को कमला नदी की बाढ़ से राहत मिलेगी। साथ ही सिचाई क्षमता का अधिकतम लाभ भी हासिल किया जा सकेगा। बराज के निर्माण से मधुबनी जिले में 44 हजार 960 हेक्टेयर क्षेत्र में सिचाई सुविधा सुलभ होगी।
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इंसेट ::::::: बिहार व नेपाल में बने कमला नदी के दोनों तटबंध जुड़ेंगे
फोटो- 3 एमडीबी 31
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- जल संसाधन विभाग ने तैयार की एक महत्वाकांक्षी योजना - दोनों तटबंधों के साथ कुल करीब 1810 मीटर नये बांध का होगा निर्माण - बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान की दिशा में यह बेहद महत्वपूर्ण योजना : जल संसाधन मंत्री
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जासं, मधुबनी : मिथिला के बड़े क्षेत्र को कमला नदी की बाढ़ के कहर से बचाने के लिए भारत और नेपाल में बने कमला के बाएं और दाएं तटबंधों को आपस में जोड़ा जाएगा। बिहार के जल संसाधन विभाग की इस महत्वाकांक्षी योजना पर 41.75 करोड़ रुपये खर्च होंगे। योजना के तहत कमला नदी के बाएं तटबंध के साथ करीब 1210 मीटर, जबकि दाएं तटबंध के साथ लगभग 600 मीटर लंबाई में नए तटबंध का निर्माण प्रस्तावित है। इस कार्य को तीन वर्षो में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कमला नदी की बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान की दिशा में इसे बेहद महत्वपूर्ण योजना बताते हुए कहा कि इससे भारत और नेपाल में निर्मित कमला नदी के दाएं एवं बाएं तटबंध आपस में जुड़ जाएंगे। यह योजना कमला नदी के किनारे बसे लाखों लोगों के लिए बड़ी सौगात साबित होगी। योजना को राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। मंत्री ने बताया कि उत्तर बिहार में बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के उद्देश्य से जल संसाधन विभाग कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं पर भी काम कर रहा है।
Posted By: Jagran
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