नवादा डाकघर से गबन की जांच करने फिर पहुंची सीबीआइ की टीम

नवादा: नवादा प्रधान डाकघर से 12 करोड़ रुपये से ज्यादा के गबन मामले की जांच ने रफ्तार पकड़ ली है। बुधवार को पटना से दो सदस्यीय सीबीआइ की टीम नवादा पहुंची।

करीब पांच घंटे तक सीबीआइ की टीम ने डाक अधीक्षक कार्यालय में बैठकर गबन मामले से संबंधित दस्तावेज की जांच करती रही। इस दौरान गबन अवधि का सभी दस्तावेज को निकलवाकर देखा। इस दौरान कार्यालय में उपस्थित डाक अधीक्षक शिवशंकर मंडल, सहायक डाक अधीक्षक धरेंद्र कुमार धीरज व डाक निरीक्षक सुरेंद्र कुमार द्वारा आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराया। जांच के बाद सीबीआद के अधिकारी गबन मामले से संबंधित कई दस्तावेज अपने साथ लेकर चले गए। बता दें कि जनवरी 2019 में प्रधान डाकघर में गबन मामले का खुलासा हुआ था। विभागीय निर्देश पर जांच टीम का गठन किया गया था। पूरे मामले की जांच के लिए तत्कालीन सहायक डाक अधीक्षक नवीन कुमार के नेतृत्व में टीम को सौंपी गई थी। जांच टीम द्वारा गबन का आरोप सही व सत्य पाया गया था। मामला सही पाये जाने के बाद तत्कालीन डाक अधीक्षक बिनोद कुमार पंडित द्वारा मई 2019 के पहले सप्ताह में तत्कालीन खंजाची अंबिका चौधरी व डाकपाल कपिलदेव प्रसाद को निलंबित कर दिया गया था।
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आज तीसरी बार पहुंची सीबीआइ टीम
- डाकघर गबन मामले की जांच करने बुधवार को तीसरी बार सीबीआइ की टीम जांच करने नवादा पहुंची। पहली बार 18 मार्च 2019 को सीबाीआइ की टीम नवादा पहुंची थी। साथ ही सीबीआई की टीम नवादा एसपी से मिलकर इस मामले से संबंधित नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी, आरोप पत्र व डायरी आदि की सत्यापित प्रति अपने साथ लेकर गई थी। इसके बाद दूसरी बार 8 सितंबर 2020 को जांच करने नवादा डाकघर पहुंची। साथ ही करीब छह घंटे तक जांच करने के बाद गबन मामले से संबंधित कई दस्तावेज लेकर गई थी।
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9 मई 2019 को खजांची व डाकपाल के विरुद्ध दर्ज हुई थी प्राथमिकी
- सहायक डाक अधीक्षक नवीन कुमार द्वारा तत्कालीन खजांची व डाकपाल के विरुद्ध 9 मई 2019 को नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मामला दर्ज होने के बाद दोनों कई माह तक फरार रहे। लेकिन पुलिस प्रशासन के दबाब के बाद खजांची अंबिका चौधरी 5 नवंबर 2019 को नवादा कोर्ट में सरेंडर किए थे। साथ ही हिसुआ पुलिस ने डाकपाल कपिलदेव प्रसाद को उनके आवास से 9 नवंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मंडलकारा में बंद रहने के दौरान खजांची की तबीयत बिगड़ गई थी। करीब आठ माह पूर्व इलाज के क्रम पटना में उनकी मौत हो चुकी है। वहीं तत्कालीन डाकपाल बेल पर हैं।
Posted By: Jagran
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