क्यों चीन के खिलाफ नेपाल में शुरू हुआ विरोध, ओली ने साधी चुप्‍पी?

नई दिल्‍ली: कभी चीन की बातों में आकर उसकी भाषा बोलने वाले नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की हालत अब खराब होती जा रही है, क्‍योंकि चीन ने जिस तरह से नेपाल पर कब्‍जा शुरू कर किया है उसकी देशभर में जमकर आलोचना हो रही है। हालांकि अभी भी ओली चुप्‍पी साधे हुए हैं और इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन नेपाल में विशेषज्ञों ने कहना शुरू कर दिया है कि वह दिन दूर नहीं जब तिब्‍बत की तरह नेपाल पर भी चीन का कब्‍जा होगा।

नेपाल में धीरे-धीरे चीन का प्रभाव बढ़ाता दिख रहा है। हाल ही में चीन ने हुलमा क्षेत्र में 9 इमारत बनाकर वहां की जमीन पर कब्‍जा कर दिया है। जिला प्रशासन कार्यालय, हुमला ने गृह मंत्रालय (एमओएचए) को अतिक्रमण के बारे में सूचना दी है और मामला विदेश मंत्रालय (एमओएफए) को भेज दिया गया है।
नेपाली मीडिया को भी अब लगने लगा है कि चीन सामरिक क्षेत्र में अपनी भूमिका के माध्यम से नेपाल में अपने पदचिह्न छोड़ने की कोशिश कर रहा है। नेपाल में चीनी आर्थिक और राजनीतिक उपस्थिति ने गति प्राप्त की है, जिसमें हाल के दिनों में इस हिमालयी देश में विवादास्पद, कठिन दृष्टिकोण और दबाव की एक सीरीज शामिल है, जो स्पष्ट रूप से अपने बेईमान इरादों को प्रदर्शित करता है।
नेपाल में बढ़ी चीनी गतिविधियां
14 सितंबर को नेपाल सरकार ने 41 चीनी नागरिकों को उनकी संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के बाद वापस चीन भेज दिया था। वे पर्यटक वीजा पर नेपाल आए थे। इस साल की शुरुआत में नेपाल में अवैध गतिविधियों में शामिल 120 चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें बीजिंग में प्रत्यर्पित किया गया। ये कुछ सबूत हैं कि कैसे चीन और उसके नागरिक नेपाल में अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।
चीनी प्रभाव यहीं समाप्त नहीं होता है। इससे पहले मई और जून में नेपाल में चीनी राजदूत होउ यानकी ने राजनीतिक बैठकों को तेज करके सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेताओं को प्रभावित करने की कोशिश की थी। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल (एल) ने काठमांडू में चीनी राजदूत होउ यानिकी के साथ बातचीत की।

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