कोरोना की डेथ इंवेस्टीगेशन रिपेार्ट नहीं मिलने से अटका अनुदान

जिले में कोरोना से मरे अधिकांश मरीजों की डेथ इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट नहीं मिल सकी है। इससे उनके परिजनों को अनुदान नहीं मिल रहा है। वे कई महीनों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। जिले में अबतक 41 कोरोना मरीजों की मौत हुई है, लेकिन डेथ इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट के अभाव में महज 11 मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये अनुदान मिल सका है।

राज्य स्वास्थ्य समिति ने इसपर गहरी नाराजगी जतायी है। समिति ने सिविल सर्जन से कहा है कि डेथ इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट मौत के तुरंत बाद तैयार हो जानी चाहिए थी, लेकिन मौत के काफी दिनों बाद तक बड़ी संख्या में रिपोर्ट लंबित है। इससे मृतकों के परिजनों को अनुदान राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। समिति की कड़ी आपत्ति के बाद सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिया है। सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को दो दिनों में डेथ इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। सिविल सर्जन ने कहा है कि यदि दो दिनों के भीतर रिपोर्ट नहीं मिलती है तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यालय व जिलों के नहीं मिल रहे रिकॉर्ड
इस मामले में यह परेशानी भी सामने आ रही है कि राज्य मुख्यालय व जिलों के आंकड़े में अंतर आ रहा है। जिले में मौत के आंकड़े कम हैं, जबकि मुख्यालय की रिपोर्ट में 41 मौत बतायी जा रही है। सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि मुख्यालय से संपर्क कर मरीजों की डिटेल मांगी गई है। वहां से निर्देश मिलने के बाद जिले के रिकॉर्ड से मिलान किया जाएगा। अबतक 11 मृतकों की डेथ इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट के आधार पर अनुदान का भुगतान हो चुका है। 22 अन्य मृतकों के परिजनों के लिए भी अनुदान राशि अनुमोदित हो गई है।

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