खेवनहार तो बना पर पांच विधानसभा में नहीं पार हुई भाजपा की नैया

रविशंकर शुक्ला, हाजीपुर : लोकतंत्र के आंगन वैशाली जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में छह ऐसे क्षेत्र हैं, जहां आजतक कमल नहीं खिल सका है। हां, यह जरूर है कि गठबंधन में भाजपा की मदद से सहयोगी दल के उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। इस तरह खेवनहार बन सहयोगी दलों की नैया पार लगाने वाली भाजपा की खुद की नैया पार नहीं लग सकी। पांच में अगर राघोपुर को छोड़ दें तो अन्य चार क्षेत्रों में भाजपा मुख्य मुकाबले में भी नहीं रही है। बीते विधानसभा के चुनाव में राघोपुर भाजपा मुख्य मुकाबले में रही। इधर, वैशाली, लालगंज एवं महुआ में भाजपा खुद की जमानत बचाने में भी कामयाब नहीं रह सकी है। राजापाकर से भाजपा ने आजतक चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। लालगंज से तीन टर्म लड़ी भाजपा पर हुई हार वैशाली जिले के लालगंज विधानसभा क्षेत्र से तीन बार भाजपा के उम्मीदवार खड़े हुए पर हार का सामना करना पड़ा। सबसे पहले 1980 के विधानसभा के चुनाव में भाजपा के हरिवंश खड़े हुए। भाजपा उम्मीदवार की चुनाव में जमानत तक जब्त हो गई थी। पार्टी उम्मीदवार को महज 557 वोट मिले थे। दूसरी बार 1995 में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे संजय कुमार भी अपनी जमानत बचाने में कामयाब नहीं हो सके थे। उन्हें महज 2530 मतों से संतोष करना पड़ा था। फरवरी 2005 के विधानसभा के चुनाव में भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष मनोज गौतम को पार्टी में उम्मीदवार बनाया था। गौतम की भी जमानत जब्त हो गई थी। उन्हें 4128 वोट मिले थे। वैशाली में जब्त हो गई थी भाजपा उम्मीदवार की जमानत जिले के वैशाली विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने दो चुनावों में प्रत्याशी खड़े किए थे पर दोनों ही बार के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी।पहली बार 1980 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उमेश कुमार को प्रत्याशी बनाया था। चुनाव में उमेश को मात्र 622 मत मिले थे। उमेश को पार्टी ने फिर 1985 के चुनाव में उतारा पर हार का सामना करना पड़ा। हां, यह जरूर हुआ कि वोट बढ़े। उमेश को 3003 मत मिले। हालांकि दोनों ही चुनावों में पार्टी प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। राघोपुर से भाजपा रही मुख्य मुकाबले में राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के इतिहास में आजतक कमल नहीं खिलने के बावजूद पार्टी के उम्मीदवार सम्मानजनक स्थिति में रहे। 2015 के चुनाव में चर्चित सीट राघोपुर से भाजपा ने जदयू के पूर्व विधायक सतीश कुमार को चुनावी मैदान में तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ उतारा था। भाजपा प्रत्याशी चुनाव तो हार गए पर निकटतम प्रतिद्वंदी रहे। हालांकि, 2010 के चुनाव में भाजपा के सहयोग से तब जदयू को यहां जीत मिली थी। सतीश ने राबड़ी देवी को पराजित किया था। राजापाकर से आजतक भाजपा नहीं लड़ी चुनाव राजापाकर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने आजतक चुनावी मैदान में पार्टी का प्रत्याशी नहीं उतारा है। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए राजापाकर में पहली बार 2010 में चुनाव हुआ था। तब भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू के खाते में यह सीट गई थी। जदयू प्रत्याशी संजय कुमार चुनाव जीते थे। वहीं 2015 के चुनाव में लोजपा ने इस सीट पर अपना प्रत्याशी खड़ा किया था पर हार का सामना करना पड़ा। महुआ में आजतक नहीं खिल सका कमल वैशाली जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का कमल आजतक नहीं खिल सका। 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से विपिन सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था पर पार्टी के उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बची थी। पार्टी उम्मीदवार टॉप फाइव में तो आया पर मात्र 2261 मत ही मिले। पार्टी के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी। इसे बाद कभी पार्टी का प्रत्याशी अगर लड़ा भी तो टॉप फाइव में नहीं रहा। हां, यह जरूर है कि पार्टी खेवनहार बनकर सहयोगी दलों के उम्मीदवार की नैया पार लगाती रही है। खेवनहार बन भाजपा ने दिलाई जीत विधानसभा दल जीते उम्मीदवार


राजापाकर जदयू संजय कुमार
लालगंज जदयू अन्नु शुक्ला
महुआ जदयू रविन्द्र राय
राघोपुर जदयू सतीश कुमार
वैशाली जदयू वृश्णि पटेल
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