बारिश में वोट मांगने के 1 साल बाद पवार बाढ़ पीड़ितों को सांत्वना देने पहुंचे

मुंबई, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। ठीक एक साल पहले, इस दिन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने सतारा में बारिश के बीच चुनावी रैली कर सबका ध्यान खींचा था, जिस कारण आखिर भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित झटका लगा था।एक साल बाद रविवार (18 अक्टूबर, 2020) को, पवार फिर से इस क्षेत्र में पहुंचे, वह इस बार पिछले हफ्ते हुई भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित लोगों को दिलासा देने पहुंचे। भारी बारिश अब तक करीब 30 लोगों की जान ले चुकी है।

हालांकि, 18 अक्टूबर, 2019 को पवार बरसात और ठंड के कारण पवार की आवाज कांपती हुई प्रतीत हो रही थी, लेकिन साथ ही साथ उन्होंने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस का मनोबल बढ़ाया और भाजपा-शिवसेना के खिलाफ वोट जुटाने में कसर नहीं छोड़ी।
राकांपा ने सतारा लोकसभा उपचुनाव के लिए श्रीनिवास पाटिल को और सतारा विधानसभा सीट के लिए दीपक साहेबराव पवार को नामांकित किया था।
वहीं, भाजपा ने मौजूदा सांसद उदयनराजे भोसले को उतारा था, जिन्होंने अक्टूबर 2019 के राज्य चुनावों से कुछ ही हफ्ते पहले राकांपा छोड़कर पवार को झटका दिया था।
कठिन चुनौतियों से प्रभावित होकर पवार ने भावनात्मक रूप से भारी बारिश के बीच घोषणा की थी, यह वरुण राजा का (वर्षा के भगवान वरुण) राकांपा के लिए आशीर्वाद है .. यह राज्य में एक चमत्कार को जन्म देगा, और यह चमत्कार 21 अक्टूबर से शुरू होगा। मुझे पूरा भरोसा है।
मतगणना के दिन पवार ने फिर से एक तरह का इतिहास रचा।
हालांकि शिवेंद्रराजे भोसले ने सतारा विधानसभा सीट हासिल की, लेकिन उदयनराजे भोसले ने अपमानजनक हार का स्वाद चखा।
नवंबर, 2019 की दूसरी छमाही में, पवार ने फिर से राजनीतिक और पारिवारिक मोर्चो पर एक वीरतापूर्ण लड़ाई लड़ी, जब एक नई सरकार ने सुबह-सुबह एक गुप्त ऑपरेशन में गुप्त रूप से शपथ ली, देवेंद्र फड़णवीस ने मुख्यमंत्री और पवार के भतीजे अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
इस वाकये के बाद पवार चीजों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे और 80 घंटे के लंबे नाटक के बाद दो लोगों के शासन को उखाड़ फेंका, और 28 नवंबर को, उन्होंने उद्धव ठाकरे को नया मुख्यमंत्री बनाकर अपना वादा निभाया।
पिछले 11 महीनों में, ठाकरे मुख्यमंत्री के रूप में मुश्किल स्थिति में रहे हैं, लेकिन शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के बीच मतभेदों के बावजूद, वह कुर्सी पर काबिज रहना चाहते हैं।
कोरोनावायरस महामारी, लॉकडाउन, प्रवासियों की भारी समस्या, बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की अचानक मौत, मुंबई पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठना, अभिनेत्री कंगना रनौत संग विवाद, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा ड्रग्स मामले की जांच और फिर बाढ़ से तबाही जैसी चीजों को महाराष्ट्र सरकार ने देखा है।
संकट के बीच, 79 वर्षीय पवार फिर से दो दिवसीय दौरे पर हैं, जबकि ठाकरे सोमवार से दौरे पर जाएंगे।
-आईएएनएस
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