क्या आप जानते हैं दिवाली कथा, कहाँ से हुई थी शुरुआत, जानिए सभी पूजाओं का मुहूर्त



दिवाली की तिथि: 14 नबंवर 2020
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 14 नबंवर 2020 दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक (14 नबंवर 2020)
प्रदोष काल मुहूर्त: शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त: शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक
दिवाली पूजन शुभ चौघड़िया मुहूर्त
दिवाली लक्ष्मी पूजन सुबह का मुहूर्त
शुभ मुहूर्त: सुबह 08:06 से 09:27 तक
चर मुहूर्त: दोपहर 12:11 से 01:33 तक
लाभ मुहूर्त: दोपहर 01:33 से 02:54 तक
अमृत मुहूर्त: दोपहर 02:54 से शाम 04:16 तक
दिवाली लक्ष्मी पूजन रात/रात्रि का मुहूर्त
लाभ मुहूर्त: शाम 05:38 से 07:16 तक
शुभ मुहूर्त: शाम 08:55 से रात 10:33 तक
अमृत मुहूर्त: रात 10:33 से रात 12:11 तक
दिवाली पूजन शुभ समय 14 नवंबर 2020
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से दोपहर 12:27 तक
अमृत कला मुहूर्त: दोपहर 12:26 बजे से दोपहर 01:50 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग मुहूर्त: प्रातः 06:43 से प्रातः 08:09 तक
विजया मुहूर्त: दोपहर 01:53 से शाम 02:36 तक
गोधुली मुहूर्त: शाम 05:17 बजे से शाम 05:41 बजे तक
सयाना संध्या मुहूर्त: शाम 05:28 से शाम 06:47 तक
निशिता मुहूर्त: 11:39 अपराह्न से 12:32 बजे, 15 नवंबर
दिवाली की कथा-:

पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक साहुकार रहा करता था। उसकी एक बेटी थी जो रोज पीपल पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पेड़ को वह जल देती थी वहां पर लक्ष्मी जी भी वास करती थी। लक्ष्मी जी उस साहुकार की लड़की से बहुत अधिक प्रसन्न थी। जिसके बाद उन्होंने उस लड़की से मित्र बनने की इच्छा प्रकट की। लड़की ने कहा कि मैं अपने पिता से इस विषय में पूछूंगी। जब उसने अपने पिता को इस बारे में बताया तो उसके पिता ने इसके लिए हां कर दी। जिसके बाद वह एक दिन लक्ष्मी जी साहुकार की बेटी को अपने घर लेकर आ गई।
उन्होने साहुकार की पुत्री का बहुत स्वागत किया। जब साहुकार की बेटी जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पूछा कि अब तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी। जिसके बाद एक दिन उसने लक्ष्मी जी को अपने घर बुलाया लेकिन उसकी वह बहुत ही निर्धन थी। जिसके कारण उसके मन में डर था कि वह लक्ष्मी जी का स्वागत कैसे करेगी। उसके पिता ने जब उसकी यह हालत देखी तो उससे कहा कि तू घर की सफाई करके चार बाती वाला दीपक जला और लक्ष्मी जी को याद कर।
उसी समय एक चील अपनी चोंच में नोलखा हार लेकर जा रही थी और उसने उस हार को साहुकार के घर पर डाल दिया। जिसे बेचकर उसने लक्ष्मी जी के स्वागत की तैयारी की। लक्ष्मी जी भगवान गणेश के साथ उसके घर में पाधारी। साहुकार की बेटी ने उन दोनों की खूब सेवा की। उसकी सेवा से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी ने साहुकार को अमीर बना दिया।

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