खुशियों की सौगात !!

पाई-पाई जोड़ता, पिता यहाँ दिन रात !

देता हैं औलाद को, खुशियों की सौगात !!
माँ बच्चो की पीर को, समझे अपनी पीर !
सिर्फ इसी के पास है, ऐसी ये तासीर !!
भाई से छोटे सभी, सोना-मोती-सीप !
दुनिया जब मुँह मोड़ती, होता यही समीप !!
बहना मूरत प्यार की, मांगे ये वरदान !
भाई को यश-बल मिले, लोग करे गुणगान !!
पत्नी से मिलता सदा, फूलों-सा मकरंद !
तन-मन की पीड़ा हरे, रचें प्यार के छंद !!
सच्चा सुख संतान का, कौन सका है तोल !
नटखट-सी किलकारियां, लगती है अनमोल !!
जीजा -साली में रही, बरसों से तकरार !
रहती भरी मिठास से, साली की मनुहार !!
मन को लगती राजसी, सालो से ससुराल !
हाल-चाल सब पूछते, रखते हरदम ख्याल !!
सास-ससुर के रूप में, मिलते हैं माँ बाप !
पाकर इनको धन्य है, जीवन अपने आप !!
जीवन में इक मित्र का, होता नहीं विकल्प !
मंजिल पाने के लिए, देता जो संकल्प !!
धन-दौलत से दूर हो, चुनना वो जागीर !
जिन्दा रिश्ते हो जहां, हो सच्ची नाज़ीर !!
✍ -- डॉo सत्यवान सौरभ,
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,
आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,

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