टीआरपी घोटाले की जांच उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई को सौंपी, दिल्ली में दर्ज हुआ केस

टीवी चैनलों द्वारा टीआरपी हासिल करने के लिए किए जा रहे फर्जीवाड़े की जांच अब सीबीआई करेगी. सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली में केस भी दर्ज कर लिया है. लखनऊ के हजरतगंज थाने में विज्ञापन एजेंसी गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा ने शनिवार को इस मामले में केस दर्ज कराया था.

प्रदेश सरकार ने इस एफआईआर के आधार पर मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी.
रिपब्लिक भारत का सफर
इस मामले का खुलासा मुंबई पुलिस ने किया था. उसने कार्रवाई करते हुए कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है. इस मामले में दो मराठी चैनलों के साथ-साथ रिपब्लिक भारत नाम के न्यूज चैनल का नाम सामने आया है. रिपब्लिक भारत के इंडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी का नाम भी इस मामले में सामने आया है.
रिपब्लिक भारत को केंद्र और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थक माना जाता है. इस मामले में जिस तरह से उत्तर प्रदेश ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है, उसके कुछ राजनीतिक मायने भी निकाले जा सकते है.
हो सकता है कि टीआरपी घोटाला जो राज्यों के बीच की लड़ाई बन कर रह जाए, क्योंकि मुंबई पुलिस इस मामले की जांच पहले से ही कर रही है.
टीआरपी का फर्जीवाड़ा
टीआरपी में फर्जीवाड़े को लेकर मुंबई में तीन टीवी चैनलों और एक एंकर पर केस दर्ज किया गया है. इस विवाद के बाद टीआरपी मापने वाली संस्था ब्रॉडकास्टिंग ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने 12 हफ्तों के लिए टीआरपी पर रोक लगा दी है.
यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने मंगलवार को बताया कि केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग की ओर से सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी कर दी गई है. सीबीआई की दिल्ली ब्रांच ने अपने यहां मुकदमा दर्ज भी कर लिया है.
टीवी चैनलों की टीआरपी मापने में हुए खेल को लेकर दर्ज केस में लखनऊ पुलिस ने शासन से मांग की थी कि इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी या किसी सक्षम एजेंसी से कराई जाए.
पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय के मुताबिक, विज्ञापन एजेंसी के क्षेत्रीय निदेशक कमल शर्मा ने एफआईआर में टीआरपी का फर्जीवाड़ा कर कुछ चैनलों की रेटिंग बढ़ाकर दिखाने और विज्ञापन प्रभावित करने का आरोप लगाया गया है.
एफआईआर के मुताबिक, देश में टीआरपी मापने का काम मुंबई के परेल स्थित ब्रॉडकास्टिंग ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) करता है. बार्क टीआरपी मापने के लिए 550 से अधिक चैनल मॉनीटर करता है. इसके लिए कुछ निश्चित घरों में पीपल्स मीटर डिवाइस इंस्टॉल करता है.
यह उपकरण किसी कार्यक्रम या चैनल के देखे जाने का आंकड़ा एकत्रित करता है. इसके आधार पर बार्क हर हफ्ते रेटिंग जारी करता है. वर्तमान में 30 हजार से अधिक मीटर लगे हैं. बार्क यह डाटा प्रोसेस करके मीडिया एजेंसी, मीडिया कंपनी, विज्ञापनदाता और विज्ञापन एजेंसियों को देता है.
एफआईआर में कमल शर्मा ने आरोप लगाया है कि कुछ अज्ञात लोग, कुछ निश्चित चैनल और ब्रॉडकास्टिंग कंपनियां अज्ञात लोगों की सहायता से लोगों को खास चैनल अथवा कार्यक्रम देखने के लिए आर्थिक लाभ या अन्य लालच दिए जा रहे हैं, ताकि उनकी रेटिंग बढ़ाई जा सके.

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