कालीन भइया को सिंहासन पर बैठाने वाले कुलभूषण खरबंदा की कहानी है बेहद रोचक, जानिए उनसे जुड़ी खास बातें

थिएटर से की थी कुलभूषण खरबंदा ने शुरुआत

हिंदी के साथ पंजाबी फिल्मों में भी किया है काम
1974 में आई फिल्म जादू का गधा से शुरू किया था फिल्मी करियर
मुंबई : फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे कलाकार हैं, जिनकी अदायगी हीरो से भी ज्यादा पसंद की जाती है। अभिनेता कुलभूषण खरबंदा उन्हीं में से एक हैं। माना जाता है कि कैरेक्टर आर्टिस्ट फिल्म में हीरो के सपोर्ट के लिए होते हैं, लेकिन इस बात को कुलभूषण खरबंदा ने गलत साबित किया है। फिल्म 'शान' में शाकाल की जबरदस्त एक्टिंग आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। उन्होंने अपनी एक्टिंग से बॉलीवुड में दशकों से एक खास मुकाम बनाया हुआ है। जन्मदिन के मौके पर आइए जानते हैं कुलभूषण खरबंदा की जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने पहलुओं को।
हिंदी के साथ-साथ पंजाबी सिनेमा में नजर आने वाले कुलभूषण खरबंदा का जन्म 21 अक्टूबर 1944 को हुआ था। कुलभूषण खरबंदा का एक्टिंग के प्रति झुकाव बचपन से ही था। फिल्मों में आने से पहले वह लंबे समय तक थियेटर से जुड़े रहे। उन्होंने कॉलेज के कुछ दोस्तों के साथ मिलकर 'अभियान' नाम के एक थिएटर ग्रुप की शुरुआत भी की थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली का थिएटर ग्रुप 'यात्रिक' ज्वाइन कर लिया था।
पढ़ाई के साथ एक्टिंग जारी रखी
कुलभूषण खरबंदा की प्रारंभिक शिक्षा कई शहरों में हुई फिर उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली से पूरी की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने थिएटर में एक्टिंग जारी रखी और इसका फायदा उन्हें मिला भी। उन्होंने महेश भट्ट की क्लासिक अर्थ, एक चादर मैली सी और दीपा मेहता के तत्वों त्रयी के तीनों हिस्सों में दिखाई दिए।
श्याम बेनेगल की फिल्म से मिली पहचान
कुलभूषण खरबंदा ने साल 1974 में आई फिल्म "जादू का गधा" से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। हालांकि उन्हें निर्देशक श्याम बेनगल की फिल्म 'निशांत' से इंडस्ट्री में पहचान मिली। श्याम बेनेगल और इनकी जोड़ी को लोगों ने इतना पसंद किया कि दोनों ने एक साथ कई फिल्मों के लिए काम किया, जिसमें मंथन, भूमिका, जुनून, कलयुग शामिल है।
आज भी शाकाल को नहीं भूले लोग
साल 1980 में बनी फिल्म 'शान' कुलभूषण खरबंदा के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई। फिल्म में उन्होंने विलेन 'शाकाल' का किरदार निभाया था। आज भी लोग शाकाल की एक्टिंग और डायलॉग को याद करते हैं। 'शान'0 के बाद उन्होंने घायल, जो जीता वही सिकंदर, गुप्त, बॉर्डर जैसी सफल फिल्मों में काम किया।
इन फिल्मों ने दिलाया खास मुकाम
कुलभूषण खरबंदा ने घायल (1990), जो जीता वही सिकंदर (1992), गुप्त (1997), बॉर्डर (1997), यस बॉस (1997) और रिफ्यूजी (2000) में अभिनय किया। हेम मालिनी के साथ, उत्सव (1984), गिरीश कर्नाड, मंडी (1983), त्रिकाल (1985), सुसमान (1987), श्याम बेनेगल, नसीम (1995), सईद अख्तर मिर्ज़ा और मानसून वेडिंग द्वारा (2001) मीरा नायर द्वारा निर्देशित।
उन्होंने शशि कपूर की फिल्मवाल्स प्रोडक्शंस की कलयुग में रीमा लागू के पति और राज बब्बर के भाई का किरदार निभाया। वह जोधा अकबर और लगान जैसे पीरियड पीस में भी नजर आ चुके हैं। उनकी सबसे हालिया फिल्में हैं आलू चाट और टीम: द फोर्स। उन्होंने कई पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने महान फिल्म चैन परदेसी (1980) में नायक का किरदार निभाया और पंजाबी कॉमेडी माहुल थेक है (1999) में अभिनय किया।
'मिर्जापुर' में दिखाया एक्टिंग का दम
वेब सीरीज 'मिर्जापुर' में पंकज त्रिपाठी के पिता का किरदार निभा रहे कुलभूषण खरबंदा की एक्टिंग की लोगों ने जमकर तारीफ की है। इस वेब सीरीज में वह व्हील चेयर पर नजर आ रहे हैं, लेकिन अपनी डायलॉग डिलीवरी से फिल्म में छा गए हैं।

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