आलू खरीदने की लाचारी, लोगों की जेबों पर पर रही भारी

बेगूसराय। चुनावी मौसम में आलू समेत सब्जियों के बढ़ते दाम ने गरीबों व मध्यमवर्गीय परिवार का बजट को बिगाड़ कर रख दिया है। सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू खरीदने की लाचारी जहां मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों की जेब पर भारी पर रही है, वहीं अन्य दैनिक उपयोग की चीजों की बढ़ती महंगाई से बजट बिगड़ा है। विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न दलों व प्रत्याशियों के पक्ष में राजनीतिक खिचड़ी पकाने में व्यस्त लोगों को ध्यान सब्जी समेत अन्य वस्तु़ओं की महंगाई से बंटा जरूर है, लेकिन फिर भी महंगाई लोगों की जेब पर भारी पड़ रही है। बीते चार पांच दिनों में सब्जियों के भावों में गिरावट के दावों के बाद भी परबल, गोभी, टमाटर जैसी सब्जियां फलों के भाव बिक रही है। कुल मिलाकर लॉकडाउन के दौरान बेकारी की मार झेल रहे मजदूर वर्ग व मध्यमवर्गीय परिवार के समक्ष वर्तमान महंगाई एक नई आफत जैसी है।


प्याज के बढ़ते दामों पर लगा लगाम :
प्याज की जमाखोरी के कारण बढ़ रहे दामों पर सरकार ने लगाम लगाने का काम किया है। थोक संग्रहण की सीमा निर्धारित किए जाने के बाद से दामों में 15 से 20 रुपये तक की गिरावट दर्ज की गई है। प्याज के थोक व्यवसायी अनुज कुमार बताते हैं कि स्टाक लिमिट करने से बाजार टूटा है। वर्तमान समय में प्याज 50 से 55 रुपये में बेच रहे हैं जबकि पिछले सप्ताह तक प्याज का थोक भाव 70 पार था। खुदरा बाजार में अब भी लोगों को 50 रुपये किलो प्याज खरीदना पड़ रहा है।
सब्जियों के दामों में भी आई है गिरावट:
कोरोना संक्रमण काल में कौड़ियों के दाम बिकी सब्जियों के दामों में अनलॉक चार व पांच से तेजी आने लगी। आलू की महंगाई और बेमौसम बारिश से सब्जियों के खेतों में जलभराव होने के कारण सब्जियां भी आम लोगों की पहुंच से दूर होने लगी। सब्जी बिक्रेता संघ के अध्यक्ष पन्नालाल की मानें तो बीते चार पांच दिनों में सब्जियों के भावों में गिरावट दर्ज की गई है। थोक बाजार में टमाटर व गोभी अब भी 40 पार है वहीं भिडी बैगन 25 से 30 के बीच गिर चुका है। बावजूद इसके लोगों को खुदरा बाजार से टमाटर व गोभी 60 रुपये व भिडी व बैगन 40 के आसपास मिल रहा है।
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