कलेक्ट्रेट लाइब्रेरी में पांच वर्षो से लटका है ताला

शेखपुरा। बड़ी उम्मीद से आठ साल पहले कलेक्ट्रेट परिसर में कलेक्ट्रेट लाइब्रेरी शुरू की गई थी। मगर पिछले कई वर्षो से इसमें ताला लटका हुआ है। जिला स्थापना दिवस 31 जुलाई 2012 को तत्कालीन डीएम संजय कुमार सिंह के प्रयास से इस सरकारी लाइब्रेरी की शुरुआत हुई थी। मगर उनके तबादले के बाद यह संस्था वीरान हो गया। उनके तबादले के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई। आज हाल यह है कि इस लाइब्रेरी में बंद लाखों रुपये कीमत की किताबों को चूहे कुतर रहे हैं। इसका संचालन जनसंपर्क कार्यालय के अधीन दिया गया था। मगर वरीय अधिकारी की अनिच्छा के सम्मान में विभागीय अधिकारी भी इस विषय से आंखे मूंद लिया। हालांकि, लाइब्रेरी के बंद रहने से वुद्धिजीवी तथा साहित्य से जुड़े लोगों में गहरा रोष है। हिदी साहित्य संगम से जुड़े मगही भाषा के रचनाकर उपेंद्र प्रसाद प्रेमी ने कहा एक तो प्रशासन स्टेशन रोड स्थित जिला लाइब्रेरी को चालू कराने में रुचि नहीं ले रहा है। ऊपर से पांच साल से अधिक समय से कलेक्ट्रेट लाइब्रेरी में ताला जड़े हुए है। जिला विधिज्ञ संघ से जुड़े अधिवक्ता सकील अहमद भी लाइब्रेरी में जड़े ताला को खुलवाकर इसे फिर से चालू करने की मांग डीएम से की है। जिला बक्फ बोर्ड से जुड़े शंबिल हैदर ने बताया लाइब्रेरी के मामले में जिला प्रशासन का रवैया पूरी तरह उदासीन है। कलेक्ट्रेट परिसर में बंद उर्दू लाईब्रेरी के भवन पर 10 वर्षो से होमगार्ड का कब्जा है।


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