साइबर अपराधियों के निशाने पर किसान

- बोरिंग, कृषि इनपुट व अनुदान राशि के लिए किए जा रहे कॉल

- किसानों का ऑनलाइन डाटा हैक कर साइबर अपराधी कर रहे ठगी
जागरण संवाददाता, जहानाबाद :
मैं कृषि विभाग के किसान कॉल सेंटर से बोल रहा हूं। आपके नाम पर बोरिंग और सोलर पंपसेट पास हुआ है। डेढ़ लाख रुपये अनुदान मिलेगा। यह पैसा किस बैंक खाता में भेजना है कृपया खाता नंबर, पैन नंबर और अधार नंबर अपडेट करने के लिए यह कॉल था। कुछ इसी अंदाज में किसानों को साइबर अपराधी कॉल कर बैंक खाता, आधार और पैन नंबर लेकर ठगी कर रहे हैं।

दरअसल किसानों को कृषि इनपुट, बोरिंग और सोलर पंपसेट सहित अन्य उपकरण पर लाखों रुपये अनुदान का झांसा देते हैं? जब किसानों को समझाने में सफल हो जाते हैं तब उनसे प्रोसेसिंग और बिना भाग-दौड़ किए बैंक खाते में पैसा भेजने के नाम पर पैसे मांगते हैं। किसान भरोसा कर पैसे भेज देते हैं।
कृषि विभाग ने किसानों को धान बेचने, कृषि यंत्र खरीद, खाद-बीज और सिंचाई उपकरण के लिए ऑनलाइन पंजीयन करा दिया है। किसानों के ई-मेल, फोन नंबर और पता साइबर अपराधी हैक कर चुके हैं। कृषि विभाग के डाटा के आधार पर किसानों को साइबर अपराधी कॉल कर पैसे झटक ले रहे हैं। ऐसी शिकायत कृषि विभाग के पास भी पहुंच रही है।
जिला कृषि पदाधिकारी सुनील कुमार ने जिले के किसानों को ठगी गिरोह से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसानों को ठगी का शिकार बनाने के लिए एक गिरोह काफी सक्रिय हैं । किसानों से लगातार जानकारी मिल रही है कि किसानों को मोबाइल पर फोन कर बोरिग का पैसा दिलाने, इनपुट सब्सिडी के रूप में पैसा दिलाने ,फसल सहायता योजना के रूप में पैसा दिलाने के लिए मार्जिन मनी के रूप में नगद राशि देने एवं बैंक ट्रांसफर करने की बात करता है। वे लोग इसके एवज में एक मोटी रकम किसानों के खाता में भेजने के लिए करते हैं। कई किसान उसके झांसे में आकर पैसा ट्रांसफर कर दिए हैं तो कुछ किसान उन लोगों की सत्यता की जांच कृषि विभाग से संपर्क कर किए जिसके कारण वे लोग बच गए हैं। किसी भी किसान को इस तरह का कॉल या मैसेज आता है तो वे उसके झूठे प्रलोभन में नहीं पड़ें। उन्होंने किसानों से वैसे लोगों के झांसे में नहीं पड़ने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यदि किसी के द्वारा इस प्रकार की बात कही जाती है तो वे लोग कृषि विभाग के जिला एवं प्रखंड कार्यालय से सीधा संपर्क करें। उन्होंने कहा कि इस आग्रह के बावजूद भी यदि कोई ठगी का शिकार होता है तो इसके लिए वह खुद दोषी माना जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को भी इसकी जानकारी मिले वे लोग दूसरे किसानों को भी इसके बारे में जानकारी दें ताकि किसान ठगी गिरोह के झांसे में नहीं आएं।
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