भाजपा ने सभी चार सीटों पर मारी बाजी, दो पर जदयू तो दो पर राजद ने जमाया कब्जा

सीतामढ़ी। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी चार सीटों पर बाजी मारकर इतिहास रच दिया तो जदयू को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं एग्जिट पोल से इतर महागठबंधन महज दो सीटों पर ही सिमटकर रह गया। महागठबंधन से कांग्रेस रीगा में अपने विधायक की सीट भी नहीं बचा पाई। वहीं बथनाहा में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। जदयू ने दो सीटें राजद के कब्जा वाली अपनी झोली में डालकर इतराने का मोका तो हासिल किया मगर, दो वैसी सीटों बेलसंड व बाजपट्टी में उसको नुकसान भी उठाना पड़ा जो उसका गढ़ माना जाता रहा है। दोनों ही सीटों पर राजद ने कब्जा जमाया। बाजपट्टी से डॉ. रंजू गीता विधायक के साथ पूर्व मंत्री भी रही हैं जहां से बिल्कुल नए चेहरे मुकेश कुमार यादव से उन्हें शिकस्त खानी पड़ी है। वहीं बेलसंड से राजद प्रत्याशी संजय कुमार गुप्ता पूर्व विधायक रह चुके हैं। 2005 के अक्टूबर चुनाव में राजद के टिकट पर ही उन्होंने लड़कर जीता था। रुन्नीसैदपुर में 2015 में राजद से मंगीता देवी चुनाव जीती थीं। दूसरी बार जीतने की उनकी हसरत पर जदयू प्रत्याशी पंकज कुमार मिश्रा ने पानी फेर दिया। कोरोना काल में हुए चुनाव में भाजपा सबसे अधिक फायदे में रही। उसने सभी चार सीटें अपनी झोली में डालकर सबको हैरत में डाल दिया। इस चुनाव में भाजपा ने अपनी वो सीटें वापस लाई है जो 2015 के चुनाव में उससे छीन गई थी। रीगा में मोतीलाल प्रसाद कांग्रेस के अमित कुमार टुन्ना से शिकस्त खा गए। वहीं सीतामढ़ी में राजद के सुनील कुमार से भाजपा के पूर्व विधायक सुनील कुमार पिटू को मुंहकी खानी पड़ी। हालांकि, इसके बाद वे भाजपा से पाला बदलकर जदयू में गए और सांसद बन गए। बथनाहा में भाजपा ने पुनर्वापसी की है। हालांकि, वहां से सीटिग विधायक रहे दिनकर राम के पोते को भाजपा ने टिकट नहीं दिया बावजूद यहां से उसको रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल हुई। बिल्कुल नए चेहरे अनिल कुमार राम ने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल कर जिले में कीर्तिमान स्थापित किया है। अनिल राम से अधिक वोट किन्हीं प्रत्याशी को हासिल नहीं हो पाए हैं। परिहार में भाजपा से गायत्री देवी दूसरी बार चुनाव जीत गई हैं। हालांकि, राजद की रितू कुमार उर्फ रितू जायसवाल से बिल्कुल कांटे की टक्कर में उनको जीत हासिल हो पाई। यहीं से रालोसपा के टिकट पर अमजद हुसैन अनवर ने रितू का खेल बिगाड़ दिया। हुसैन पूर्व सांसद स्व. अनवारूल हक के पुत्र हैं। उनके चलते अल्पसंख्यक वोटों का बिखराव हुआ जिसका नुकसान राजद को उठाना पड़ा। वहीं हाल बेलसंड में हुआ। यहां भी रालोसपा के ठाकुर धर्मेंद्र सिंह ने जदयू का बना बनाया खेल तहस-नहस कर दिया। रुन्नीसैदपुर से जदयू के टिकट पर पंकज कुमार मिश्रा चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने वहां से सीटिग विधायक राजद की प्रत्याशी मंगीता देवी को शिकस्त दी। इससे पहले 2015 में मंगीता देवी से ही पंकज कुमार मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा था। यह उनके लिए जीत का बदला हो सकता है। सुरसंड में राजद के सैयद अबू दोजाना से जदयू के दिलीप राय ने सत्ता से बेदखल कर दिया। चुनाव के कुछ महीने पहले दिलीप राय राजद से जदयू में आए और राजद का ही पता साफ कर दिया। यहां से सैयद दोजाना विधायक रहे हैं और राजद खेमे में उनकी पहुंच उपर तक रही है। लालू प्रसाद के परिवार से बेहद करीबी माने जाते थे। उनकी हार से राजद को भी झटका लगा है। सुरसंड में लोजपा के अमित कुमार उर्फ माधव चौधरी दूसरी बार भी नहीं जीत पाए मगर राजद को भी जीतने नहीं दिया।


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