लोकल ट्रेनों का परिचालन नहीं होने से छठ व्रतियों को हो रही परेशानी

संवाद सहयोगी मोहनियां: बुधवार को नहाय खाय के साथ चार दिवसीय लोकआस्था के महापर्व का अनुष्ठान प्रारंभ हो गया। कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय गया रेलखंड पर लोकल ट्रेनों का परिचालन लंबे समय से बंद है। इसके कारण छठ व्रतियों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। सड़क यातायात ही आवागमन का एक मात्र साधन है। इसके चलते बसों पर यात्रियों का दबाव बढ़ गया है। बस पड़ाव में यात्रियों के साथ छठ व्रतियों की भीड़ देखी जा रही है। लोगों को उम्मीद थी कि छठ व्रत के मौके पर रेल प्रशासन लोकल ट्रेनों का परिचालन प्रारंभ करेगा। लेकिन ऐसा नहीं होने से यात्रियों को निराशा ही हाथ लगी है। हर वर्ष छठ के मौके पर ट्रेन से छठ व्रती घर पहुंचते थे। जिसका स्वजनों को भी लंबे समय से इंतजार रहता था। छठ व्रती भी साल में इस महापर्व के मौके पर परिवार में अपना समय गुजारते थे। ज्ञात हो कि लोक आस्था के महापर्व के मौके पर दूर-दूर से लोग छठ करने के लिए अपने गांव आते हैं। छठ व्रतियों को ट्रेन का सफर आरामदेह से होता था। इस मौके पर छठ व्रतियों के आवागमन से रेलवे स्टेशन भी गुलजार रहता था। महापर्व के समाप्त होने के बाद ट्रेन से लोग वापस लौटते थे। ट्रेनों का परिचालन नहीं होने से रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं बस पड़ाव में यात्रियों की भारी भीड़ देखी जा रही है। मोहनियां का बस पड़ाव सूबे के बड़े बस पड़ावों में सुमार है। लेकिन यहां सुविधाएं नदारत है। यह बस पड़ाव जिला पर्षद कैमूर के अधीन है। जिसके रखरखाव पर जिप का ध्यान नहीं है। बस पड़ाव में जहां तहां गंदगी का अंबार लगा है। जिससे निकलने वाली दुर्गंध यात्रियों को परेशान कर रही है। लंबी दूरी वाली बसों में लोकल यात्रियों को एजेंट, चालक व कंडक्टर तरजीह नहीं देते हैं। अगर किसी यात्री को सासाराम से कुदरा, पुसौली या मुठानी उतरना हो तो उन्हें बस में पहले सवार नहीं होने दिया जाएगा। पहले मोहनियां भभुआ के यात्रियों के बस में सवार होने के बाद ही उन्हें मौका मिलेगा। तबतक सभी सीटें भर जाएंगी। ऐसे में लोकल यात्रियों को बस में खड़ा होकर ही सफर करना पड़ेगा। पुरुष तो किसी तरह खड़ा होकर धक्का खाते चले आते हैं लेकिन महिलाओं की फजीहत होती है। इस संबंध में मोहनियां की विधायक संगीता कुमारी ने कहा की लोकआस्था के महापर्व छठ का महत्व कौन नहीं जानता है। इस मौके पर केंद्र सरकार को लोकल ट्रेनों का परिचालन कराना चाहिए था। जिससे बाहर से आने वाले छठ व्रतियों को सहूलियत होती। लेकिन रेल प्रशासन ने इसका ख्याल नहीं रखा। इससे साफ जाहिर होता है की केंद्र व राज्य सरकार इस पर्व के महत्व को नहीं समझ रही है न इसे तरजीह दे रही है। जो धार्मिक भावना पर कुठाराघात है।

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