64 छठ घाटों पर प्रतिनियुक्त किए गए दंडाधिकारी

जहानाबाद। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर जिलाधिकारी नवीन कुमार ने जिलेवासियों को शुभकामना देते हुए कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जारी गाइडलाइन के तहत त्योहार मनाएं। उन्होंने कहा कि हर हाल में आवश्यक शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मास्क का उपयोग करें। उपविकास आयुक्त मुकुल कुमार गुप्ता और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अशोक कुमार पांडेय ने संबंधित पदाधिकारियों एवं दंडाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए विधि व्यवस्था के संधारण में तत्पर रहने का निर्देश दिया। बैठक में बताया गया कि 64 छठ घाटों पर दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। छठ पर्व के अवसर पर विधि व्यवस्था संधारण के लिए उपविकास आयुक्त को नामित किया गया है। साथ ही साथ अनुमंडल कार्यालय में नियंत्रण कक्ष भी बनाए गए हैं, जिसपर 06114-223013 नंबर पर किसी प्रकार की जानकारी आम लोग दे सकते हैं। महत्वपूर्ण छठ घाटों पर संक्रमण से बचाव को लेकर सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। घाटों पर वैरिकेटिग के साथ-साथ चिकित्सकों की टीम की भी प्रतिनियुक्ति की गई है। महत्वपूर्ण घाटों पर गोताखोर भी तैनात रहेंगे। इसे लेकर पीएचईडी के कार्यपालक निदेशक को निर्देश दिया गया है कि घाटों पर स्वच्छ जल तथा अस्थायी शौचालय की व्यवस्था कराएं।छठव्रतियों को वस्त्र बदलने के लिए चेजिग रूम भी बनाए गए हैं। छठी मइया की गीत से घाट से घर तक माहौल हुआ भक्तिमय


लोकआस्था का चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन गुरुवार को छठ व्रतियों ने खरना किया। खरना के बाद छठ व्रती 36 घंटे के निर्जला उपवास पर चले गये। शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ दिया जायेगा।
इसके लिए जिले के सभी सूर्य मंदिरों व छठ घाटों पर विशेष इंतजाम कराये गये हैं। छठ घाटों पर साफ-सफाई के साथ ही पेयजल, रोशनी व चिकित्सीय टीम की व्यवस्था करायी गयी है। वहीं जहां पानी की कमी थी, वहां पानी की भी व्यवस्था करायी गयी है, ताकि छठ व्रतियों को अर्घ देने में परेशानी नहीं हो। खरना को लेकर सुबह से ही तैयारी चल रही थी। दूध की व्यवस्था करने में लोग जुटे हुए थे, ताकि प्रसाद बनाया जा सके। दोपहर बाद छठ व्रती नदियों और सरोवरों में स्नान करने के बाद खरना के लिए प्रसाद बनाने में जुट गये। इसके लिए नदियों और कुएं के पानी इस्तेमाल किये गये। नये चूल्हे पर आम की लकड़ी को जलावन में इस्तेमाल करते हुए पीतल के बर्तन में खरना के लिए प्रसाद बनाया गया। प्रसाद बनाने के दौरान छठ व्रतियों के साथ ही घर की अन्य महिलाओं द्वारा छठ गीत गाये जाते रहे।
प्रसाद के लिए खीर व रोटी पकायी गयी। शाम ढलते ही छठ व्रतियों ने छठ गीतों के बीच प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद प्रसाद खिलाने का दौर देर रात तक चलता रहा।
लोगों ने एक-दूसरे के घरों में जाकर खरना का प्रसाद ग्रहण किया व भगवान भास्कर के प्रति अपना सिर झुकाकर उनकी आराधना की। इधर नदी तटों व सरोवरों पर भी खरना का प्रसाद बनाते छठ व्रती देखे गये। छठ घाटों पर छठ गीत भी गूंजता रहा।

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