बिचौलिए कम दर पर खरीद रहे हैं किसानों से धान

संवाद सूत्र, रजौली : प्रखंड क्षेत्र के पैक्स अध्यक्षों के बीच सरकारी आदेश जारी नहीं किए जाने के कारण धान की खरीद अभी तक चालू नहीं हो सका है। जबकि प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर से ही प्रखंड के पैक्सों में धान खरीद की जाती रही है। लेकिन इस वर्ष अभी तक धान की खरीदारी पैक्स अध्यक्षों के द्वारा शुरू नहीं की जा सकी है। इसका फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। वे सरकार के निर्धारित दर से 300 से 400 रुपये प्रति क्विटल की कम कीमत पर किसानों से धान खरीद कर स्टॉक कर रहें है। प्रखंड क्षेत्र में एक भी पैक्सों में धान की खरीदारी शुरू नहीं होने से किसानों को बिचौलियों के हाथों धान बेचना मजबूरी हो गई है। ऐसे में किसानो को धान की फसल से मुनाफा होना तो दूर लागत पूंजी भी निकलना मुश्किल हो गया है। जबकि प्रखंड के क्षेत्र के सोलह पंचायतों के 16 पैक्सों में से एक रजौली पश्चिमी पंचायत के डिफॉल्टर पैक्स अध्यक्ष को छोड़कर पंद्रह पैक्स एवं व्यापार मंडल में खरीद की जाती रही है। लेकिन इस बार अब तक किसानों को सरकार के निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल रहा है।धान खरीदने का लक्ष्य सहकारिता विभाग को अभी तक नहीं दिया गया है। सरकार के द्वारा 1868 रुपये प्रति क्विटल क्रय करने का लक्ष्य निर्धारित है। इधर, बिचौलिए 1300 से 1400 रुपये प्रति क्विटल में ही छोटे-छोटे जरूरतमंद किसानों के धान खरीद कर स्टॉक कर रहे हैं। जब धान पैक्सों में खरीद की जाएगी बिचौलिए बड़े-बड़े किसानों की रसीद पर बिक्री करेंगे।


पिछले वर्ष भी धान खरीद के लक्ष्य को विभाग प्राप्त नहीं कर सका था। विभाग को सरकार ने 2019 में प्रखंड के सभी पैक्सों को उत्पादन के करीब तीस से पैंतीस फीसदी खरीद करने का लक्ष्य दिया गया था। विभाग की उदासीनता और पैक्सों के रुचि नहीं लेने के कारण लक्ष्य के अनुरूप खरीद हासिल नही किया जा सका था।पिछली बार की भांति इस बार 2020 में भी धान खरीद का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा या नहीं अभी से संशय कायम होने लगा है।यहां के किसानों का कहना है कि धान खरीद जल्द से जल्द शुरू किया जाए। किसान अजय सिंह, रंजीत सिंह, शेखर सिंह, रामस्वरूप यादव, छोटेलाल सिंह आदि नाराज किसानों ने धान खरीद केंद्र शुरू नहीं होने पर कहा कि है कि सरकार घोषणाएं कुछ करती हैं, और करती कुछ और है। सरकार किसानों के उत्थान को लेकर कई तरह की घोषणा करती हैं। लेकिन लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है। किसान काफी मेहनत के बाद धान की फसलों की उपज करते हैं। लेकिन उपज के बाद किसानों को इसकी बिक्री कि चिता सताती रहती है। कोरोना काल में भूखे मरने वाले किसान अब सरकार की तरफ से शुरू होने वाले धान खरीद केंद्रों की तरफ टकटकी लगा रखे कि। कब धान की खरीद शुरू होगी और उन्हें सरकार की ओर से घोषित अच्छी कीमत मिल सकेगी। जिससे किसान अपनी बेटियों की शादी व बच्चों पढ़ाई की फीस, दुकानदारों का कर्ज सहित अन्य घर खर्चों को पूरा कर सकें। लेकिन खरीद शुरू होने में हो रही बिलंब से उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। स्थिति यह है कि धान की बिक्री नहीं होने एवं कोरोना काल में इस तरह के खर्च पूरा नहीं होने से किसान मजबूर हो बिचौलियों के हाथ अपने धान को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हो गए हैं। जिससे बिचौलिए समेत व्यापारियों को काफी लाभ हो रहा है। इस संबंध में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से किसी प्रकार की दिशा निर्देश हमें नहीं दिया गया है। जिला चयन समिति नीति की और से जैसे ही दिशा निर्देश मिलेगा धान अधिप्राप्ति का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
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