पुलिस से नहीं संभल रहा ट्रैफिक, इंतजाम में 'व्यवस्था' फेल

सीतामढ़ी। सुरक्षित यातायात के लिए परिवहन विभाग व पुलिस के पास कोई सुनियोजित तैयारियां नहीं दिख रही हैं, जिसका खामियाजा यात्री व राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है। सड़क सुरक्षा सप्ताह केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है। सुरक्षित यात्रा को लेकर संबंधित विभागों के पास कोई विशेष रणनीति नहीं है। जिले में यातायात को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं दिखती। यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण आए दिन यात्रियों को जाम तथा सड़क दुर्घटनाओं से रूबरू होना पड़ता है। शहर व अत्यधिक दुर्घटना वाले स्थानों पर न तो कोई सूचना पट है और न तो कोई ट्रैफिक सिगनल है। अब तक न तो जिला परिवहन विभाग और न ही ट्रैफिक पुलिस सड़क सुरक्षा को लेकर कोई तैयारी की है। सड़क सुरक्षा पर नहीं है ध्यान : जिलें में दिन प्रतिदिन गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन प्रशासन के द्वारा सड़क सुरक्षा के प्रति आम लोगों को जागरूक नहीं करना कई सवाल खड़े कर रहा है। इस दिशा में जिला प्रशासन का फिलहाल कोई कदम उठाने की योजना नहीं है। ऐसा लगता है कि सड़क सुरक्षा की व्यवस्था को कारगर बनाने के लिए प्रशासन सजग नहीं है। सुरक्षित यातायात के लिए संसाधनों की कमी दूर करने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। यह व्यवस्था पूरी तरह भगवान भरोसे है। सरकार द्वारा संसाधन की कमी को दूर करने हेतु फिलहाल कोई प्रबंध नहीं किया गया है। शहर के भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर संकेतों व सिग्नल का नामों निशान नहीं है। किसी-किसी चौक चौराहे पर बिहार पुलिस के जवान ट्रैफिक को संभालते नजर तो आ जाते हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। पथ निर्माण विभाग द्वारा कही-कही सड़कों के किनारे संकेत पट लगाए गए हैं, जिससे यातायात को सुरक्षित बनाने में कोई सहूलियत नहीं मिलती है। जबकि शहर में किसी तरह के ट्रैफिक सिग्नल की व्यवस्था नहीं है और भविष्य में इस तरह की कोई व्यवस्था करने की कोई योजना नहीं बनाई गई है। ट्रैफिक संकेत क्या है : सड़क हादसे से बचने के लिए सड़क किनारे यातायात संकेत (ट्रैफिक साइन) या सड़क संकेत (रोड साइन), सड़क या सड़क किनारे लगाए जाते हैं उसे ही ट्रैफिक संकेत कहते हैं।----------------------------------


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