जगदीशपुर में नहीं थम रहा खेतों में पराली जलाने का सिलसिला

आरा। डीएम के सख्त निर्देश एवं विभाग के कड़े रुख के बाद भी जगदीशपुर में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने का सिलसिला नहीं थम रहा है। कृषि विभाग ने इस मामले में अब तक एक दर्जन किसानों के खिलाफ कार्रवाई की है। साथ ही जिम्मेवार कृषि विभाग के पदाधिकारियों पर भी कार्रवाई हुई है। बावजूद खेतों में पराली नहीं जलाने के लिए किसानों के बीच जागरूकता चलाने का अभियान धरातल पर नहीं दिख रहा है। विभाग का यह अभियान कागजों तक सिमट कर रह गया है। मंगलवार को भी जगदीशपुर प्रखंड के कौंरा, नारायणपुर, बभनियांव समेत कई क्षेत्रों में पराली जलाने का सिलसिला जारी रहा। बिहिया और उदवंतनगर प्रखंड में भी पराली जलाने का मामला सामने आया है। जिले के किसान सरकार एवं विभाग के आदेश से बेपरवाह बने हुए हैं और अपने खेतों में धान की फसल का अवशेष अर्थात पराली को जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। उक्त पंचायत के किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक ने इस संबंध में कृषि विभाग को कोई प्रतिवेदन नहीं सौंपा है।


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पराली जलाने के प्रति सरकार क्यों है सख्त : कृषि विभाग ने अपने आदेश में कहा है कि खेतों में पराली जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ पर्यावरण को बड़े पैमाने पर खतरा उत्पन्न हो रहा है। पराली जलाने पर रोक के अलावा कई अन्य स्तरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। दोषी किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही यदि उस परिवार में कोई अन्य किसानों का निबंधन हुआ है, तो उसका भी निबंधन रद की कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
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डीएम ने किसानों के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाने का दिया आदेश:
खेतों में धान की फसल का अवशेष अर्थात पराली नहीं जलाने के लिए सरकार के सख्त फरमान के बाद जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा ने बीते दिनों अपने कार्यालय कक्ष में संबंधित विभाग के पदाधिकारियों के साथ मैराथन बैठक कर संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को अपने-अपने स्तर से जन जागरूकता का कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया था। साथ ही पराली जलाने से इसके दुष्प्रभाव आम लोगों पर कैसे और क्या पड़ता है तथा पर्यावरण और खेतों को क्या नुकसान होता है बताने का निर्देश जारी किया था। बावजूद इसका प्रभाव नहीं दिख रहा है।
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