शुक्र प्रदोष व्रत कथा जिसके सुने बिना होगा आपका प्रदोष व्रत अधूरा

हिंदू धर्म में प्रदोष को काफी शुभ फलदायक वाला माना जाता है और इससे सौभाग्य में वृद्धि वाला भी माना जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी प्रकार की बाधाएं औरदोष कट जाते हैं आज हम आपको शुक्र प्रदोष व्रत की कथा बताते हैं जिसके सुनने जिसके बिना आपका व्रत अधूरा है।

शुक्र प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक नगर में 3 मित्र रहते थे राजकुमार ,ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे धनिक पुत्र का विवाह हो गया था लेकिन गौना शेष था इन तीनों मित्रों की चर्चा कर रहे थे ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा नारी हीन घर भूतों का डेरा होता है।
जब धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरंत ही अपनी पत्नी को लाने का निश्चय कर लिया तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं ऐसे में बहू बेटियों को उनके घर से विदा करवा कर लाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन धनिक पुत्र ने एक न सुनी और ससुराल पहुंच गया ससुराल में भी उसे काफी मनाने की कोशिश गई की गई लेकिन वह जिद पर अड़ा रहा और कन्या के माता-पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी।
विदाई के बाद पति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बेल गाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भीचलते रहे कुछ दूर जाने पर उनका पहला डाकुओं से पड़ा जो उनका धन लूट गए दोनों घर पहुंचे तो वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैध ने बताया कि वह 3 दिन में मर जाएगा।
जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता पिता को पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और कहा कि इसे पत्नी सहित वापस ससुराल भेज दे धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई यानी शुक्र प्रदोष के मात्रा में से सभी कष्ट दूर हो गए।

अन्य समाचार