पहली दिसंबर से जिलास्तरीय स्कूली कला उत्सव का होगाऑनलाइन आयोजन

वैशाली। समग्र शिक्षा कला उत्सव में वर्ग नवम से बारहवीं तक के सरकारी एवं निजी विद्यालयों के छात्र-छात्राएं शामिल होंगे। जिलास्तर पर इसका आयोजन पहली से चार दिसम्बर तक होगा। स्कूली बच्चों के लिए इस बार ऑनलाइन प्रतिभा प्रदर्शन का मौका मिलेगा। कला उत्सव में प्रतिभागियों के लिए कला क्षेत्र की 9 विद्याओं को शामिल किया गया है। हर विद्या में प्रत्येक विद्यालयों से एक छात्र एवं एक छात्रा शामिल हो सकते हैं। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 30 नवंबर निर्धारित है।

कला उत्सव 2020 आयोजन को लेकर एसएसए कार्यालय परिसर में बैठक हुई। बैठक में उच्च विद्यालयों के प्रधानाध्यापक एवं कला-संगीत शिक्षकों ने हिस्सा लिया। बैठक को संबोधित करते हुए डीपीओ समग्र शिक्षा कविता कुमारी ने कहा कि इस वर्ष कला उत्सव का आयोजन ऑनलाइन किया जा रहा है। इसमें सभी विद्यालयों को निर्धारित नौ कला विद्याओं में प्रत्येक विद्या के लिए एक छात्र एवं एक छात्रा की प्रतिभागिता सुनिश्चित कराना है। प्रधानाध्यापकों को यह सुझाव दिया गया कि इसके लिए विद्यालय स्तर पर कला में अभिरुचि रखने वाले शिक्षकों एवं अन्य शिक्षकों का एक दल गठित करते हुए छात्रों को कला उत्सव में प्रतिभागिता सुनिश्चित कराने के लिए प्रेरित करें। विद्यालय स्तर पर चयनित छात्रों का ऑनलाइन आवेदन कला उत्सव के बेवसाइट www.ढ्डद्गठ्ठह्यह्यद्बड्ड.द्बठ्ठ पर शिक्षकों की देख - रेख में अपलोड कराना है। जिलास्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों का चयन संबंधित कला-संगीत विषय के विशेषज्ञ करेंगे। बैठक में प्रतियोगिता के लिये प्रत्येक विद्याओं से संबंधित शिक्षकों एवं कला विशेषज्ञों के तीन सदस्यीय निर्णायक मंडली का चयन किया गया है।

डीईओ ने बताया कि शिक्षा में कला-संगीत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ग नवम से बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं के कलात्मक प्रतिभा को पहचानने एवं इसके विकास के लिए हर वर्ष कला उत्सव का आयोजन किया जाता है। शिक्षा विभाग ने वर्ष 2015 में कला उत्सव का शुभारंभ किया है। भारत सरकार गृह एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर कोरोना संक्रमण को देखते हुए कला उत्सव का आयोजन इस बार ऑनलाइन किया जा रहा है। इसमें सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों में नामांकित वर्ग नवम से बारहवीं तक के छात्र-छात्राएं हिस्सा ले सकते हैं। बैठक में आलोक रंजन, राजीव रंजन, खुर्शीद अख्तर आदि मौजूद थे।
कला विधा एवं निर्णायक मंडली के सदस्य :
गायन - जयकांत पाठक, भोला प्रसाद राय एवं गीतांजलि चौधरी।
पारंपरिक लोक संगीत - शंकर पासवान, कुमारी अल्पना एवं सुधीर कुमार।
शास्त्रीय वादन - उपेंद्र कुमार, मुकेश कुमार शर्मा एवं सरोज कुमारवादन पारंपरिक लोक संगीत - सुरेश कुमार, अब्दुल गफ्फार एवं ललन राय।
शास्त्रीय नृत्य- कुमारी आरती, सुधीर कुमार एवं शालिनी भास्कर।
लोक नृत्य - पूर्वी मुखर्जी, स्मिता सिन्हा एवं सिपी कुमारी।
दृश्य कला- मोहम्मद मुमताज, रामप्रसाद सिंह एवं राजकिशोर प्रसाद।
मूर्तिकला - शशिकांत, कुमारी मीणा एवं प्रशांत कुमार। पारंपरिक खिलौना एवं खेल - ललिता भारती, गरीबनाथ एवं मुकेश प्रसाद।
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