विम्स प्रशासन ने मारपीट के आरोपित डॉक्टर को किया निलंबित

बिहारशरीफ। पावापुरी स्थित विम्स अस्पताल प्रबंधन को आखिरकार सफाईकर्मियों के आगे झुकना पड़ा। सात लाख रुपये चोरी का आरोप लगा महिला सफाईकर्मी की पिटाई मामले में आरोपित चिकित्सक को निलंबित करना पड़ा। घटना के बाद से ही सफाईकर्मी आरोपित डॉक्टर के निलंबन व गिरफ्तारी को लेकर धरना-प्रदर्शन करते आ रहे थे। गुरुवार को भी मेन गेट पर प्रदर्शन के कारण लगातार चौथे दिन किसी मरीज का इलाज नहीं हो सका था। वहीं पांच दिनों से अस्पताल की साफ-सफाई भी नहीं हुई है। शुक्रवार को कर्मचारी संघ को डॉ कुमार के निलंबन की चिट्ठी मिलने के बाद धरना प्रदर्शन वापस ले लिया गया। सभी कर्मी अपने अपने काम पर लौट गए। राष्ट्रीय सफाई कर्मी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भीम आर्मी के उपाध्यक्ष उमेश भगत और राष्ट्रीय कर्मचारी संघ के महामंत्री रंजीत कुमार चौधरी ने बताया कि महिला को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन किया गया था। कहा कि हड़ताल शर्तो के साथ खत्म की गई है। इसमें प्राचार्य को चिट्ठी देकर मांग की गई है कि सभी हड़ताली कर्मियों एवं संघ के लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।


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महिला सफाईकर्मी ने लगाया था पिटाई का आरोप
बता दें कि रविवार को विम्स अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. ध्रुव कुमार और उनके साथियों पर पावापुरी मेडिकल कॉलेज के जे आर हॉस्टल में एक महिला सफाई कर्मी की बेरहमी से मारपीट करने का आरोप लगा था। इस मामले में महिला थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी। चिकित्सक ने महिला पर 7 लाख का चोरी का आरोप लगाया था। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और सभी सफाई कर्मी एकजुट होकर काम छोड़कर संघ की अगुआई में आंदोलन करने लगे, जिससे ओपीडी सेवा चार दिनों तक बंद रही। हालांकि, बीच में एसडीओ संजय कुमार, डीएसपी सोमनाथ प्रसाद, गिरियक एवं पावापुरी थाना अध्यक्ष, विम्स के अधीक्षक डॉ. ज्ञान भूषण एवं कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पीके चौधरी ने कई बार सफाईकर्मियों से बातचीत की, जिसमें चिकित्सक को 24 घंटे के अंदर निलंबित कर गिरफ्तार करने का भरोसा दिया गया था। लेकिन, उनका निलंबन व गिरफ्तारी नहीं हुई। इस कारण सफाईकर्मी और भड़क गए। लगातार चौथे दिन भी आंदोलन जारी रखा।
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राजनीति का अड्डा बनता जा रहा विम्स अस्पताल
मरीजों की जान बचाने वाला विम्स अस्पताल फिलहाल राजनीति का अड्डा बनता जा रहा है । अस्पताल में नए-नए संगठनों का उदय हर महीने अपने मांगों को लेकर अस्पताल की ओपीडी सेवा ठप कर देते हैं। जिसका खामियाजा मरीजों को चुकाना पड़ रहा है। क्योंकि अस्पताल बंद रहने से मरीजों को बिहारशरीफ या फिर पटना जाना पड़ता है। इधर, लगातार लगते भीषण जाम के वजह से अधिकांश मरीज पटना भी नहीं जा पा रहे थे। बता दें कि अस्पताल के अधिकांश कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। जिन्हें हर महीने कोई न कोई संगठन के नेता वेतन बढ़ाने एवं परमानेंट कराने का सपने दिखाकर एकजुट कर लेते हैं और मांगों के समर्थन में अस्पताल की ओपीडी सेवा ठप कर देते है, जिससे प्रशासन को बीच में आना पड़ता है।
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