'काम दिल से होता है तो डिप्रेशन व स्ट्रगल नहीं होता'

इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मुझे बॉक्सिंग का शौक था, पर यह खेल मैंने केवल इसलिए छोड़ा क्योंकि मैडल के लिए मुझे किसी पर हाथ उठाना पसंद नहीं था। इसके बाद मैंने मॉडलिंग और अभिनय की ओर रुख करने का निर्णय लिया। शुरुआत मॉडलिंग से की और बाद में अभिनय को पूरी तरह से अपना लिया। इन दोनों ही क्षेत्रों में मुझे स्ट्रगल और डिप्रेशन जैसी परेशानियों से दो-चार कभी नहीं होना पड़ा। वजह यही रही कि मैंने दोनों ही क्षेत्रों में दिल से काम किया। अपनी मेहनत से समझौता नहीं किया और जब यह मंत्र कोई अपना लेता है तो डिप्रेशन या स्ट्रगल से वह खुद-ब-खुद बच जाता है। हां, जब नया रास्ता बनता है तब मुश्किलें बहुत आती हैं पर बाद में लोग आपके रास्ते पर चलने लगते हैं।

यह कहना है युवा कलाकार भूपेंद्र सिंह पैमाल का। इंदौर के ही रहने वाले भूपेंद्र इन दिनों अपने शहर में ही हैं। शनिवार को उन्होंने नईदुनिया से हुई खास मुलाकात में अपने अनुभव साझा किए। वे बताते हैं कि मॉडलिंग के बाद अभिनय की दुनिया में आने के लिए मैंने खुद को तीन साल तक निखारने का प्रयास किय। मैंने अपनी कमियों को दूर करना शुरू किया। मंच का डर, कम्युनिकेशन स्किल, फिटनेस पर ध्यान दिया और फिर अभिनय की बारीकियां भी जानीं। मैं अभिनय के क्षेत्र में एसलिए आया क्योंकि यहां ताउम्र काम किया जा सकता है और एक जीवन में कई जिंदगियों को जिया जा सकता है।
10 गुना ज्यादा करनी होती है मेहनत
ये है मोहब्बतें, कलश, सावधान इंडिया, ना हौसला हारेंगे हम, इश्कबाज, दिल बोले ओबेरॉय सहित कई टीवी सीरियल और एनकाउंटर फिल्म में अभिनय करने के दौरान मैंने यह महसूस किया कि यदि आप पॉलिश होकर आए हैं तो काम मुश्किल नहीं होता। हां छोटे शहर के व्यक्ति को मुंबई और खासतौर पर टीवी या बॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करने के लिए 10 गुना ज्यादा मेहनत करनी होती है। हमें वहां के लोगों की सोच के आगे अपनी सोच रखनी होती है। एक कलाकार कई लोगों का आदर्श होता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने यह तय किया है कि मैं बोल्ड प्रोजेक्ट नहीं करूंगा। इस शहर का होने के नाते मैं इसे प्रमोट करने की भी कोशिश कर रहा हूं। इसके तहत मैंने 'ओ रे पिया' गीत बनाया है। इसकी शूटिंग शहर के आसपास ही होगी।

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