मृदा स्वास्थ्य कार्ड से बदल रही खेती-किसानी की तस्वीर

खगड़िया।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड से किसानों को काफी फायदे हैं। इससे उन्हें खेत की सेहत का पता चल जाता है। इस योजना के तहत किसानों को खेतों के लिए आवश्यक पोषक तत्व और उर्वरक की जानकारी दी जाती है ताकि पैदावार अच्छी हो सके। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2015 में राजस्थान से शुरू किया था। इस कार्ड में मिट्टी की पोषण की स्थिति और उसके उपजाऊपन की जानकारी सहित उर्वरक तथा अन्य पोषक तत्वों के बारे में सूचनाएं मौजूद होती हैं।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार खेती करने से धान की पैदावार 20 प्रतिशत, गेहूं व मक्का की पैदावार 10 से 15 प्रतिशत बढ़ जाती है। जबकि दलहन की पैदावार में 30 प्रतिशत और तेलहन की पैदावार में 40 प्रतिशत की वृद्धि होती है। चौथम प्रखंड के सभी पंचायतों के किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड का लाभ ले रहे हैं। कहते हैं कृषि समन्वयक

प्रखंड कृषि समन्वयक बच्चन कुमार सिंह ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बाद खेती में नाइट्रोजन युक्त यूरिया की खपत में काफी कमी देखने को मिली है। तेलौंछ पंचायत में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जाती है। वहां अनुमान से अधिक उत्पादन हो रहा है। धान की खेती में किसानों को 15 से 20 प्रतिशत का फायदा हुआ है। प्रति एकड़ लगभग 20 किलो यूरिया की बचत हुई है। दलहनी फसलों की खेती में भी खाद कम लगे हैं। खाद के उचित उपयोग से फसलों का उत्पादन बढ़ा है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के तहत गेहूं, धान और दलहन व तेलहन की खेती में खाद का उचित उपयोग हुआ है। जिससे उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है।
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