न डॉक्टर न कर्मचारी, अजीबोगरीब हैं अस्पताल की कहानी

शिवहर। सूबे के सबसे छोटे व पिछड़े जिले शिवहर की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाली का शिकार बन गई है। सरकार द्वारा सुदूर ग्रामीण इलाकों में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल की स्थापना तो की। लेकिन न डॉक्टर की तैनाती की गई और नहीं कर्मी की। जब चिकित्सक और कर्मी की तैनाती ही नही हुई तो दवा और संसाधन की बात सोचना भी बेमानी है। हालत यह हैं कि सरकार द्वारा निर्मित अस्पताल ग्रामीणों के लिए जलावन और मवेशी घर बन गया है। इतना ही नहीं अस्पताल भवन पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण भी कर लिया है। तस्वीर है शिवहर जिले के पिपराही प्रखंड अंतर्गत कुअमा का। तकरीबन सात कट्ठा जमीन पर स्वास्थ्य विभाग ने कुअमा में उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की थी। शुरूआती दौर में चिकित्सक और नर्स की तैनाती की गई। आसपास के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ भी मिला। लेकिन पिछले चार से यह अस्पताल भूत बंगला बन कर रह गया है। चार साल से यहां न तो कोई चिकित्सक तैनात है और नहीं नर्स ही। चिकित्सक और कर्मी की तैनाती का इंतजार कर रहे ग्रामीणों के सब्र का बांध टूट गया तो यह अस्पताल जलावन और मवेशी घर बन गया। अब गांव के लोग अस्पताल के कमरे में मवेशी बांधते है। अपना भूसा और जलावन भी रखते है। इतना ही नहीं कई लोगों ने अस्पताल की जमीन अतिक्रमित कर ली है तो कई लोग यहां आराम फरमाते है। हैरत की बात यह कि सबकुछ जानते हुए भी विभाग अनजान बना हुआ है। विभाग चिकित्सकों की कमी का रोना रोता है। जबकि, इलाके के लोग इलाज के लिए शिवहर व सीतामढ़ी भटकने को मजबूर है। हालांकि, अब अस्पताल को लेकर ग्रामीण उग्र होने लगे है। लोग अब आंदोलन के मूड में है। ग्रामीणों ने मामले में डीएम से पहल की मांग की है। साथ ही डॉक्टर, नर्स और कर्मी की तैनाती की मांग की है। ताकि, लोगों का इलाज हो सके और उनकी जिदगी सुरक्षित रह सके।

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