नेपाल बॉर्डर बंद होने से रिश्तों पर पड़ रहा असर

संवाद सूत्र, दिघलबैंक (किशनगंज) : कोरोना काल से ही इंडो-नेपाल बॉर्डर बंद रहने से आम जनजीवन पर अब उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा है। खासकर सीमावर्ती इलाके में रिश्ते नाते प्रभावित होने लगे हैं। बेटी रोटी का संबंध होने के कारण जिले के दिघलबैंक, ठाकुरगंज और टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर शादी ब्याह होते रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोना बीमारी के नाम पर बॉर्डर की बंदी से हम लोगों के रिश्ते में दरार पैदा होने लगा है। बहू बेटियां अपने मां बाप से मिलने के लिए तरस रही हैं। दूसरी तरफ सीमावर्ती नेपाली नागरिकों को आशंका है कि आवाजाही पर प्रतिबंध होने के कारण अब भारत के लोग नेपाल में शादी करने से कतराएंगे। इस वजह से बंद समाप्त करने के लिए नेपाल में धरना प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।

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इंडो-नेपाल बॉर्डर से सटे दिघलबैंक बाजार के सीमावर्ती नेपाल के झापा जिला के झापा छोटी भंसार के समीप बुधवार को धरना प्रदर्शन किया गया। नेपाल-भारत खुला सीमा संवाद के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे प्रभु नारायण यादव ने बताया कि भारत-नेपाल की 50 की संधि के कारण सीमावर्ती इलाकों बेटी रोटी का संबंध बना हुआ है। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सीमा बंद होने के कारण हम लोगों के रिश्ते में दरार आने लगा है। आज हमारे घर की बहू बेटियां अपने मां बाप से मिलने के लिए तरस रहे हैं। मेरा खुद का ससुराल दिघलबैंक में है, मेरी पत्नी सीमा पार दिघलबैंक(भारत) अपने मां बाप से मिलने तक नहीं जा पा रही है। उस पार मा अलग रो रही है और इस पार बेटी अलग रोती है।अब हमलोग कैसे शादी ब्याह करेंगे। जब आना जाना ही बंद हो जाएगा तो रिश्ता टूटना तय है। पूर्व शिक्षक राम प्रसाद ठाकुर ने बताया कि हमारा भी शादी अररिया जिले में हुई है। मेरी पत्नी और बच्चे नानी गांव जाने के लिए बेकरार हैं। संतोष कुमार गणेश ने बताया कि मेरे भांजा-भांजी की शादी दिघलबैंक क्षेत्र के सतकोवा पंचायत में भैरभरी गांव में है। हमलोग अपने रिश्तेदारों के घर आना जाना नहीं कर पा रहे हैं। हमारी मांग है कि नेपाल सरकार अतिशीघ्र बॉर्डर को खोलने की इजाजत दे।
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