खाद की कालाबाजारी रोकने को अभी तक 19 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी

सीतामढ़ी। खाद की उपलब्धता एवम कालाबाजारी को लेकर समीक्षा के क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अभी तक जिले में 19 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी कर उर्वरक नमूना का संग्रह किया गया है। अनुमंडल कृषि पदाधिकारियों व प्रखंड कृषि पदाधिकारियों का एक संयुक्त उर्वरक छापेमारी दल का गठित किया गया है, जो उर्वरक प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण कर अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई करेगा। अनुदानित बीज वितरण की समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने निर्देश दिया कि पूरी पारदर्शिता के साथ ससमय बीज वितरण करना सुनिश्चित करेंगे। जिलाधिकारी ने फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर उपस्थित अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की। बैठक में उपस्थित कृषि विशेषज्ञों नेबताया कि


फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाता है। फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक टन पुआल जलाने से वातावरण को होने वाले नुकसान के कारण तीन किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोक्साइ, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड 199 किलोग्राम राख, दो किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड उत्सर्जित होता है। उन्होंने कहा कि पुआल जलाने से मानव स्वास्थ्य को काफी नुकसान भी होता है। सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक में तकलीफ, गले की समस्या आदि उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि एक टन पुआल नहीं जलाकर उसे मिट्टी में मिलाने से पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। नाईट्रोजन : 20 से 30 किलोग्राम, पोटाश: 60 से 100 किलोग्राम, सल्फर : 5 से 7 किलोग्राम, आर्गेनिक कार्बन : 600 किलोग्राम प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि पुआल नहीं जलाकर उसका प्रबंधन करने में उपयोगी कृषि यंत्र, स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड-कम- फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम- बाईंडर, स्ट्रॉ रीपर, रोटरी मल्चर
इन यंत्रों पर अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है। जिलाधिकारी ने जिले के किसान भाइयों एवं बहनों से अपील है करते हुऐ कहा है कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई हो तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, भूसा आदि को जलाने के बदले खेत की सफाई करने हेतु बेलर मशीन का उपयोग करें। अपनी फसलों के अवशेष को खेत में जलाने के बदले उसमें वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मिट्टी में मिलाएं अथवा पलवार विधि से खेती कर मिट्टी को बचाकर संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें।
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