शिवहर में चिकित्सक के 80 फीसद पद खाली

शिवहर। कहने को सदर अस्पताल, लेकिन व्यवस्था ऐसी कि घटना-दुर्घटना में यदि कोई घायल पहुंचा तो चिकित्सक फटाफट कर देते रेफर। अस्पताल का रिकॉर्ड बताता है कि आज तक कोई सर्जरी नहीं की गई। रिस्क उठाने को कोई तैयार नहीं। सर्जन के नाम पर सिर्फ एक चिकित्सक।

वर्ष 1994 में शिवहर को जिले का दर्जा मिला था। तब से लेकर अब तक स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था नहीं हो सकी। जिले में 100 शैय्या वाला सरोजा सीताराम सदर अस्पताल और मातृ-शिशु अस्पताल के अलावा पाच पीएचसी, 17 एपीएचसी और 98 हेल्थ सब सेंटर हैं। जिले में चिकित्सकों के 118 स्वीकृत पद के विरुद्ध महज 28 ही तैनात हैं। वहीं 200 एएनएम की जगह 108 एएनएम की ही तैनाती हैं। आंकड़े बताते है कि सृजित पद के विरूद्ध नर्स के आधे पद और चिकित्सक के 80 फीसद पद खाली है।

सदर अस्पताल की ही बात करें तो चिकित्सक और कर्मियों के 178 पदों के विरुद्ध मात्र 39 कार्यरत हैं। 49 में से अभी 16 चिकित्सक पदस्थापित, जिनमें से चार की प्रतिनियुक्ति मातृ-शिशु अस्पताल में है। शेष 12 में एक चिकित्सक पिछले एक साल से अवकाश पर हैं। महज 11 डॉक्टरों की बदौलत सदर अस्पताल चल रहा। यहा फिजिशियन के दो, चर्मरोग के एक, शिशु रोग विशेषज्ञ के दो, एनेस्थीसिया के चार, नेत्ररोग, हड्डी रोग एवं पैथोलॉजिस्ट के एक-एक पद रिक्त हैं। सदर अस्पताल में 55 ए ग्रेड नर्स के विरुद्ध महज नौ कार्यरत। जिले के इकलौते सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह हैं। यहां ऑपरेशन थियेटर है, लेकिन इस्तेमाल नहीं होता। कारण एनेस्थीसिया के डॉक्टर नहीं हैं।
विधानसभा चुनाव के दौरान जनता दल राष्ट्रवादी के प्रत्याशी श्रीानरायण सिंह को गोली लगी थी। वर्ष 2018 में व्यवसायी धर्मेंद्र सोनी को गोली मार जख्मी कर दिया गया था तो अभय कुमार को चाकू मार दिया गया था। समय पर इलाज नहीं होने से तीनों की मौत हो गई थी। अगस्त 2018 में लोजपा जिलाध्यक्ष संजय कुमार पाडेय को गोली मार दी गई थी। मुजफ्फरपुर ले जाते समय मौत हो गई थी। लोग बताते हैं कि अगर सदर अस्पताल में चिकित्सक और संसाधन उपलब्ध होता तो इन लोगों की मौत नही होती। वैसे हर साल इलाज के अभाव में दर्जनों की मौत होती है। सदर अस्पताल से रेफर कर दिया जाता है। मरीज को लेकर लोग सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर के लिए रवाना होते है, लेकिन रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देता है।
जिला में अबतक सिजेरियन ऑपरेशन नही हुआ है। जब भी ऐसी परिस्थिति आती है, तब मुजफ्फरपुर या पटना रेफर कर दिया जाता है।
वैसे जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम पंकज कुमार बताते हैं कि प्रसव वार्ड का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। शीघ्र ही डायलिसिस वार्ड का निर्माण कराया जाएगा। आने वाले समय में शिवहर का स्वास्थ्य महकमा संसाधनों से लैस होगा।
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