खुफिया तंत्र कमजोर, तकनीकी सेल के भरोसे पर पुलिस

दरभंगा। दरभंगा के बड़ा बाजार स्थित अलंकार ज्वेलर्स से बुधवार को दिन-दहाड़े हुए करोड़ों के आभूषण लूट मामले में पुलिस को सातवें दिन भी पूर्ण सफलता नहीं मिली। घटना को अंजाम देने वाले न तो किसी अपराधी की गिरफ्तारी हो पाई है और नहीं लूटे गए जेवरातों की बरामदगी। इसके पीछे दरभंगा पुलिस के खुफिया तंत्र का कमजोर होना मुख्य कारण बताया जा रहा है। शहरी क्षेत्र से जुड़े क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आठ थाना और ओपी है। बावजूद इसके, दूसरे जिले के अपराधियों ने शहर को अपना सेफ ठिकाना ही नहीं बनाया बल्कि, तय समय पर घटना को भी अंजाम दे दिया। यहां की पुलिस को इसकी भनक तक नहीं मिली। एक समय था कि पुलिस मुखबिरों के सहारे कार्रवाई करती थी। समय पर मदद ली जाए इसे लेकर सभी थानों में मुखबिरों की सूची भी होती थी। लेकिन, इन दिनों पुलिस ऐसे लोगों से दूर हो गए हैं। भौतिकवादी युग में हाईटेक हुई पुलिस ने मुखबिरों से वास्ता रखना छोड़ दिया है। इनके जगह थानों में दलाल और भू-माफिया किस्म के लोगों ने ले लिया है। यही कारण है कि अपराध की योजना बनाने वाले अपराधियों तक पुलिस आसानी से नहीं पहुंच पाती है। अब पुलिस खुपियातंत्र की जगह तकनीकी सेल के भरोसे चल रही है। सर्विलांस ट्रैकिग सिस्टम पर निर्भर है। अर्थात पुलिस स्वयं के अनुसंधान की जगह दूसरे के फीडबैक पर बाहबाही लूटने में लगी है। मोबाइल टावर लोकेशन, सीडीआर और सीसी कैमरे के फुटेज को पुलिस अब अपना मुखबिर मान बैठी है। जिस मामले में तकनीकी सेल से मदद नहीं मिल पाती है उसमें पुलिस अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती है। अब अपराधी भी तकनीकी सेल से अवगत हो चुके हैं। यही कारण है कि मोबाइल लोकेशन, सिम का इश्तेमाल, सीसी कैमरा से बचने के ऊपाय आदि की जानकारी अपराधियों ने हासिल कर लिया है। लहेरियासराय थाने क्षेत्र के बाकरगंज मोहल्ला में 10 जुलाई 2019 की सुबह श्री गणेश ज्वेलर्स के मालिक संजय कुमार लोहिया लाखों के जेवरात लूट मामले में पुलिस सीसी फुटेज और मोबाइल लोकेशन पर 17 माह से भरोसा जता रही है। लेकिन, आज तक कोई सफलता नहीं मिली। एक बदमाश की बात छोड़ दिया जाय तो सभी अब तक फरार हैं और एक रुपये की बरामदगी तक भी नहीं हो पाई है। 9 दिसंबर 2020 को नगर थाने के बड़ा बाजार में घटी घटना में तकनीकी सेल को कई सफलता मिली है। लेकिन, अब तक सही से गैंग की पहचान भी नहीं हो सकी है। खुफियातंत्र ध्वस्त होने से अपराधियों पर नकेल लगाना पुलिस के लिए मुश्किल हो गया है। थानेदारी भी चल रही है, सड़क पर पुलिस गश्त भी है। बावजूद, आपराधिक घटनाएं घट रही है। कौन रेकी कर रहा है, कौन बदमाश ठिकाना बना रखा है इसकी सूचना तक पुलिस को नहीं मिल पा रही है। बताया जाता है कि मुखबिरों को अब पुलिस पर भरोसा नहीं रहा। अक्सर दी जानेवाली जानकारी लीक हो जाती है। ऐसी स्थिति में पुलिस और मुखबिरों का संबंध अब खत्म हो चुका है।

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