नेताओं को जिस दल में दिखी जगह वहां लगा दी छलांग

मोतिहारी। गुजरा साल पर वैसे तो कोरोना हावी रहा, पर विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज रही। कोरोना काल में संपन्न चुनाव में आम लोगों ने भी चुनाव की पूरी प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कोरोना काल में भी राजनीतिक दल चुनाव को ध्यान में रखते हुए अपने स्तर से तैयारी कर रहे थे। लेकिन जैसे ही चुनाव की तिथियां तय हुई और टिकट की दौड़ शुरू हुई राजनीतिक दलों के दरवाजे सबके लिए खुल गए। चुनाव के दौरान दलों को बदलने की होड़ सी लग गई। जिसे जहां जगह मिली वहां शामिल होकर अपना भाग्य आजमाया। टिकट नहीं मिलने से नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी को छोड़ दूसरे दलों से टिकट हासिल भी किया। इस प्रकार के करीब आधा दर्जन से अधिक नेताओं ने दल तो बदला, पर कुछ को छोड़ सबको जनता ने निराश किया। दल को छोड़ने व शामिल होने के बाद भी सफल नहीं होने के बाद अब उनका राजनीतिक सफर संकट में आ गया है। इस प्रकार के नेता एक बाद फिर पुराने घर में वापसी की जुगत में लगे हैं। कुछ को मिला लाभ तो अधिकतर हुए निराश


दलों को छोड़कर अन्य दल में टिकट हासिल करने वाले कुछ नेताओं को लाभ भी मिला, लेकिन अधिकतर नेताओं को निराश होना पड़ा। सुगौली विधानसभा क्षेत्र में जदयू नेता ने चुनाव से पहले राजद का दामन थाम लिया। राजद ने उन्हें उम्मीदवार बनाया। जनता ने भी उनपर भरोसा किया और विधानसभा पहुंच गए। वहीं इसी विधानसभा से भाजपा नेता विजय प्रसाद गुप्ता ने पार्टी छोड़ लोजपा का दामन थामा, पर चुनाव हार गए। भाजपा से विधायक रह चुके रामचंद्र सहनी ने भी वीआइपी से चुनाव लड़ा, पर जनता से उन्हें नकार दिया। ढाका से रामपुकार सिन्हा जदयू से रालोसपा में शामिल होकर चुनाव लड़ा पर उन्हें भी निराशा हाथ लगी। जदयू को छोड़ केसरिया से महेश्वर सिंह ने भी रालोसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, पर वे चुनाव हार गए। वहीं भाजपा छोड़ रामशरण यादव केसरिया से लोजपा से चुनाव लड़े, पर उन्हें भी हार का स्वाद चखना पड़ा। पीपरा से जदयू नेता अवधेश कुशवाहा ने जदयू को छोड़ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा, पर चुनाव हार गए। इसी प्रकार हर विधानसभा क्षेत्रों में टिकट के लिए भागमभाग रही। इनमें सुगौली को छोड़कर हर जगह इस प्रकार के नेताओं पर लोगों ने भरोसा नहीं किया।
चुनाव के बाद जिले में एनडीए हुई मजबूत जिले में विधानसभा चुनाव के बाद एनडीए की स्थिति पहले से मजबूत हो गई। जिले के 12 सीटों में 2015 में आठ सीटें थी। इस बार नए गठबंधन के साथ चुनाव में स्थिति और मजबूत हुई। एनडीए ने एक सीट की वृद्धि करते हुए नौ सीटों पर जीत दर्ज की। कुछ जगहों पर नेतृत्व जरूर बदला पर सीटों की बात करें तो एनडीए पहले से मजबूत हुई। जदयू लंबे समय बाद चंपारण में अपना खाता खोला व एक सीट पर जीत हासिल की।
सांसद का बढ़ा कद, बनाए गए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के भाजपा प्रभारी फोटो : 20 एमटीएच 36 स्थानीय सांसद सह पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का कद पार्टी के स्तर पर बढ़ गया। सांसद को पहले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। उनके बेहतर कार्य को देखते हुए पार्टी ने उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है। सांसद राधामोहन सिंह संगठन से जुड़े हुए नेता माने जाते हैं। इनके नेतृत्व में पिछले दो विधानसभा चुनाव में एनडीए ने चंपारण में बेहतर प्रदर्शन भी किया है। हाल के चुनाव में श्री सिंह स्टार प्रचारक की भूमिका में थे। उन्होंने बिहार के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी।
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