कोरोना के खौफ के बीच शिक्षा जगत में हुए नए प्रयोग

दरभंगा। कोरोना संक्रमण का खतरा भले ही जाते साल की खुशियों पर कुंडली मार बैठ गया। लेकिन, इस साल में शिक्षा जगत को नए प्रयोग का अवसर मिला। इसी के साथ संक्रमण से लड़ने की आदत भी लोगों के बीच विकसित हुई। अभिभावक व बच्चों से लेकर शिक्षक तक बच्चों की प्राण और भविष्य रक्षा के लिए तत्पर रहे। इसी के साथ प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रयोग किए गए। पहला कोरोना जैसी महामारी के नाम और इसके प्रभाव संग बचाव के तरीकों को बच्चों के जेहन में डाला गया। नतीजा पहली बार मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग आरंभ हुआ। द्वितीय चरण में सरकारी व गैर सरकारी उच्च विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं आरंभ हुई तो महामारी से प्रभावित छात्रों और उनके अभिभावकों को निराशा के धुंध में आशा की किरण दिखी। सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में बंदी के बावजूद बच्चों का मध्याह्न भोजन जारी रखा। पहले उनके खाते में नकद राशि भेजी गई तो बाद में अभिभावकों को बुलाकर शारीरिक दूरी का पालन करते हुए खाद्यान्न भी उनके हवाले कर दिया। स्कूल नहीं खुले तो क्या हुआ बच्चों को पाठ्य पुस्तकें भी उपलब्ध करा दी गईं।


21 मार्च से बंद कक्षाएं अब होंगी संचालित 21 मार्च 2020 सरकारी संचिका में खौफ से बचाव के दिन के तौर पर याद रहेगा। इस दिन प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय बच्चों के लिए बंद हुए तो आजतक बंद हैं। लेकिन, पंजीयन परीक्षा तथा रि•ाल्ट के काम चालू हैं। एसईआरटी ने दूरदर्शन के माध्यम से बच्चों को घर पर रहते हुए ही पढ़ाने का बीड़ा उठाया। वहीं माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय एप्प के माध्यम से बच्चों की शिक्षा जारी रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
महामारी के बीच ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट के जिले के लिए सबसे शानदार रिजल्ट आए। लेकिन कोई इसका जश्न नहीं मना सका। हाई स्कूलों में कक्षाएं धूल से पटी हैं। खेल मैदान भी सुने पड़े रहे। बच्चों की उछल कूद बंद हो गई। शिक्षकों को दो माह के बंदी के बाद स्कूल तो बुलाया गया लेकिन पढ़ाने के लिए नहीं। अब स्कूल खोलने के आदेश के बाद लोगों की उम्मीदों को बल मिला है।
निजी स्कूलों के शिक्षक रहे परेशान,
सबसे ज्यादा परेशानी
निजी स्कूलों के शिक्षकों की रही। स्कूल प्रबंधन ने लॉकडाउन होने के कुछ महीनों बाद ही नजर फेर ली। कई शिक्षकों की नौकरी महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट की भेंट चढ़ गई। निजी स्कूल प्रबंधन भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। हालांकि कक्षा के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई शुरू होगी। इसके बावजूद अभिभावक शुल्क भुगतान करने स्कूल तक नहीं पहुंचे। अभिभावकों के हौसले से मिली हिम्मत जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ. महेश प्रसाद सिंह बताते हैं कि कोरोना काल में अभिभावकों के हौसलों ने साथ दिया। बच्चों की पढ़ाई अवश्य बाधित हुई। लेकिन, अभिभावकों के हौसलों की बदौलत बच्चों ने हिम्मत नहीं हारी। अपने बच्चे को ना केवल पढ़ाते रहे। बल्कि शिक्षकों का भी सहयोग किया। आने वाला साल निश्चित रूप से बेहतर होगा। उम्मीद : 2021
नए साल से युवाओं को आगे बढ़ने की उम्मीद पिछले साल कोरोना के कारण युवाओं के लिए संचालित कुशल युवा कार्यक्रम बुरी तरह प्रभावित हुआ। लेकिन, आनेवाले वर्ष से यह उम्मीद जगी है कि कुशल युवा कार्यक्रम के तहत मिलनेवाला प्रशिक्षण माध्यमिक कक्षा में ही छात्रों को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। इसके अलावा आर्थिक हल युवाओं को बल एक ऐसी योजना है जो नए साल में युवाओं को नई ताकत देगी। निजी स्कूलों में कोरोना के कारण कायम आर्थिक संकट समाप्त होगा।
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