बाबा सिंहेश्वर नाथ का दर्शन कर करेंगे नववर्ष का स्वागत

मधेपुरा। नए साल के आगमन की तैयारियों में लोग उत्साह से जुट गए हैं। परिवार के साथ लोग पिकनिक स्पॉट पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। कोसी क्षेत्र के लोग नए वर्ष का स्वागत बाबा सिंहेश्वर नाथ का दर्शन करते हैं। इसी वजह से एक जनवरी को बाबा मंदिर में काफी भीड़भाड़ रहती है। जिले के अलावा सहरसा व सुपौल जिले के लोग भी यहां बाबा के दर्शन करने आते हैं। नए साल के आगमन के मौके पर यहां एक लाख लोगों के जलाभिषेक को आने की उम्मीद है। हर वर्ष लगभग इतनी ही संख्या में लोग यहां आते हैं। रात 12 के बाद ही है जश्न की तैयारी नववर्ष के स्वागत को लेकर लोग काफी उत्साहित हैं। 31 दिसंबर की रात 12 बजे का समय पार करते ही लोग नए साल के स्वागत में जश्न मनाने लगते हैं। कई जगहों पर इस मौके पर अपनी पर्सनल पार्टी का भी आयोजन किया जा रहा है। वहीं युवा भी रात को सड़क पर आकर नव वर्ष का स्वागत करते हैं। बैराज है पसंदीदा पिकनिक स्पॉट


जिले में कोई पिकनिक स्पॉट नही रहने के कारण अधिकांश लोग नेपाल जाते है। काफी संख्या में लोग नेपाल के कोसी बैराज जाते है। इसके अलावा लोग धरान व उससे ऊपर पहाड़ी भेरेटार आदि भी जाते हैं। सुबह से लोग अपने अपने वाहनों से इन पिकनिक स्पॉट पर निकलने लगते हैं। वहीं बाहर नहीं जा पाने परिवार के बच्चे अपने घर एवं बगीचे में ही पिकनिक मनाकर नए साल का स्वागत करते हैं।
मंदिर में दूर दराज से आएंगे श्रद्धालु शिव नगरी के रूप में सिंहेश्वर स्थान की बड़ी ख्याति है। सालों भर यहां दूर दराज से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं। नए साल के आगमन के मौके पर भी लोग काफी तादाद में यहां आते हैं। वहीं महाशिवरात्रि और सावन के दौरान श्रद्धालु के आने की तादाद लाखों में रहती है। मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर स्थान शिव मंदिर को बिहारी बाबा धाम भी कहा जाता है।
काफी ख्याति है बाबा मंदिर की मंदिर व शिवलिग स्थापना के संदर्भ में कोई प्रामाणिक दस्तावेज नहीं है, लेकिन इस बारे में कई किदवंती प्रचलित है। प्रचलित एक किदवंती के अनुसार कई सौ साल पहले यह क्षेत्र घने जंगल से घिरा हुआ था। यहां अगल-बगल के गौपालक अपनी गायों को चराने आते थे। एक कुंवारी कामधेनु गाय प्रत्येक दिन एक निश्चित जगह पर खड़ा होती तो स्वत: ही उसके थान से दूध गिरने लगती थी। एक दिन गौपालक ने यह दृश्य खुद देख लिया तब सबों ने मिलकर खुदाई की तो शिवलिग मिला। प्रचलित एक किदवंती के अनुसार एक बार भगवान शिवहिरण का वेशधारण कर पृथ्वी लोक चले आए। इधर सभी देवी-देवता उन्हें ढूंढने लगे। इसी बीच पता चला कि भगवान शिव पृथ्वीलोक पर हैं। भगवान ब्रह्मा व बिष्णु उन्हें ले जाने पृथ्वी लोक आ गए जहां हिरण तो मिला, लेकिन हिरण रूपी भगवान शिव जाने को तैयार न हुए इसपर भगवान ब्रह्मा व विष्णु ने जबरन ले जाने चाहा लेकिन हिरण गायब हो गया। आकाशवाणी हुई कि भगवान शिव आपको नहीं मिलेंगे। बताया जाता है भगवान बिष्णु द्वारा स्थापित सिग ही बाबा सिंहेश्वर नाथ है।
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