फर्जीवाड़ा कर दो वर्ष से कर रहे थे सरकारी नौकरी, अब दर्ज होगा केस



ध्यानार्थ::
मुंगेर के लिए भी उपयोगी
--------------------- -कोट जन शिक्षा निदेशालय से प्राप्त निर्देश के आलोक में उदयानंद विश्वास के विरुद्ध थाने में मामला दर्ज करने को ले आवेदन दिया गया है।
-मिथिलेश कुमार सिंह
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पिपरा
------------ जागरण संवाददाता, सुपौल: दस्तावेज में हेराफेरी का सहारा लेकर पिछले करीब दो वर्षों से समूह घ पर नौकरी कर रहे एक कर्मी का आखिरकार फर्जीवाड़ा पकड़ा ही गया। फर्जीवाड़ा के इस मामले में निदेशक जन शिक्षा सह अपर सचिव शिक्षा विभाग के निर्देश पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पिपरा ने थाना में आवेदन देकर इनके विरुद्ध कार्यवाही करने को लिखा है। मामला अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों को समूह घ के रिक्त पद पर समायोजित करने से संबंधित है।
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पिपरा थाना क्षेत्र के मकरैय निवासी उदयानंद विश्वास ने नौकरी के समय समर्पित दस्तावेज में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पा ली थी। जांचोपरांत जन शिक्षा निदेशक ने जहां जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल को इनके विरुद्ध थाने में मामला दर्ज करने को कहा है। मुंगेर जिले में पदस्थापित इन फर्जी कर्मियों के विरुद्ध मुंगेर जिला शिक्षा पदाधिकारी को इन्हें सेवा से बर्खास्त करते हुए वेतन आदि की एकमुश्त राशि वसूलने का निर्देश दिया है।
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समायोजन को ले क्या थी प्रक्रिया
दरअसल सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर सरकार ने अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों को समूह घ के रिक्त पद पर समायोजन करने का फैसला लिया। बहाली को ले न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि इस पद पर उन्हीं अनुदेशकों की बहाली की जानी है जो 26 फरवरी 2016 तक न्यायालय में याचिका दायर किए हों तथा अनुदेशक के रूप में लगातार 3 वर्षों तक कार्य किया हो। न्यायालय द्वारा पारित आदेश का पालन करते हुए समायोजन को ले शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया। संबंधित अनुदेशक को उपयुक्त दोनों शर्तों को पूरा करने संबंधी दस्तावेज के साथ जिला स्तरीय कमेटी के समक्ष आवेदन समर्पित करना था। जिसमें शपथ पत्र के माध्यम से यह घोषणा समर्पित की जानी थी कि वह समायोजन हेतु निर्धारित दोनों शर्तों का पूर्ण पालन करते हैं। जिसके बाद अनुदेशक द्वारा समर्पित दस्तावेजों की सत्यता की जांच करते हुए जिला स्तरीय कमेटी के स्तर से समायोजन हेतु संबंधित अनुदेशकों की सूची विभाग को उपलब्ध कराई जानी थी।
------------ बड़े पैमाने पर किया गया फर्जीवाड़ा
इधर समायोजन को लेकर इनके द्वारा जिला स्तरीय कमेटी के पास जो दस्तावेज जमा किया गया था उसमें बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया था। कमेटी के पास समर्पित दस्तावेज में इनके द्वारा बताया गया कि उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में समायोजन को ले वर्ष 2011 में ही याचिका दायर किया था। जिसका याचिका संख्या 23225/2011 दर्शाया गया था। परंतु जांच के क्रम में यह पाया गया कि इनके द्वारा जो याचिका संख्या दिखाया गया है उसमें याचिकाकर्ता बनने संबंधी कोई अभिलेख उपलब्ध ही नहीं है।
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जन शिक्षा निदेशालय में की गई थी शिकायत
दरअसल इसके समायोजन को लेकर भागलपुर जिला के सुनीता कुमारी ने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त सूचना के आधार पर जन शिक्षा निदेशालय में शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि उदयानंद विश्वास द्वारा न्यायालय में समायोजन हेतु याचिकाकर्ता बनने के लिए दिनांक 26 फरवरी 2016 के बाद याचिका संख्या 2314/2017 दायर किया गया है। जबकि इनके द्वारा जिला कमेटी सुपौल में इन्हें याचिका संख्या 23225/ 2011 में दायर याचिकाकर्ता दर्शाया गया है। लेकिन उच्च न्यायालय पटना के वेबसाइट पर उपलब्ध याचिका संख्या 23225/2011 के स्टेटस के अनुसार याचिकाकर्ता बनने संबंधी कोई अभिलेख नहीं पाया गया है। उनके द्वारा यह भी बताया गया कि उदयानंद अंधविश्वास वास्तव में याचिका संख्या 2314/2017 याचिका दायर की थी।
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डीईओ ने दिया कार्रवाई का आदेश
जांचोपरांत निदेशालय ने आरोप को सही करार करते हुए उनके इस कृत्य को अपराधी की श्रेणी में रखते हुए सरकारी सेवा में नियुक्ति का अनुचित लाभ लेने का दोषी ठहराया है। इसके लिए निदेशालय ने इनके विरुद्ध जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल को मामला दर्ज करने तथा पदस्थापन जिला मुंगेर के जिला शिक्षा पदाधिकारी को सेवा से बर्खास्त करते हुए सेवाकाल में इन्हें भुगतान की गई वेतन आदि की एकमुश्त वसूली हेतु त्वरित कार्रवाई करने को कहा है।
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