लिगानुपात में जिले ने पेश की मिसाल, 1000 पर 1209 लड़कियां

सीतामढ़ी। कोख में ही बेटियों को मार दिए जाने से उनकी तादाद कम होते जाने की रिपोर्ट लंबे से चिताजनक बनी हुई है। ऐसे वक्त में जगत जननी मां जानकी की जन्मभूमि सीतामढ़ी ने लिगानुपात को लेकर अच्छी तस्वीर दिखाई है। लिगानुपात में सीतामढ़ी ने अन्य जिलों के लिए आदर्श पेश किया है। भारत सरकार द्वारा नेशनल फैमिली हेल्प सर्वे में सीतामढ़ी जिला में लिगानुपात प्रति 1000 पुरुष से बढ़कर 1209 हो गई है। यह संख्या पहले प्रति एक हजार पर 1103 ही थी। नीति आयोग द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से विभिन्न मानकों की समीक्षा के क्रम में जिलाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा ने खुद यह खुशखबरी साझा की। उन्होंने बताया कि पूर्व में भारत सरकार द्वारा नेशनल फैमिली हेल्प सर्वे में जिला में लिगानुपात प्रति 1000 पुरुष पर 1103 महिला थी जबकि, ताजा सर्वे में यह बढ़कर 1209 हो गई है।


इनसेट
समाज में आए बदलाव की झलक
लड़कियों की रोल मॉडल रुन्नीसैदपुर के गाढ़ा गांव की अभिनेत्री व मॉडल नेहा राठौर, आदर्श नगर की पेंटिग आर्टिस्ट नेहा रानी, अथरी गांव की प्रतिभा प्रिया उर्फ शिल्पी, स्वाति मिश्रा ने कहा कि लड़कियों का लिगानुपात बढ़ने से आधी आबादी का सही मायने में सशक्तीकरण होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के बीच चौंकाने वाले सुखद नतीजे सामने आने से हर कोई खुश नजर आ रहा है। लोगों का कहना है कि इस देशव्यापी लोकप्रिय अभियान से न सिर्फ बेटियों के प्रति समाज में स्वीकृति बढ़ी है बल्कि, बेटियां पढ़ भी रही हैं और आगे बढ़ भी रही हैं, जो आधी आबादी की प्रगति की ओर इशारा करती है। यह भी बता रहा है कि थोड़े से प्रयास और किए जाएं तो तस्वीर बदल सकती है। एसएलके कॉलेज की प्राचार्य डॉ. ममता सिन्हा, गोयनका कॉलेज की प्रोफेसर कृतिका वर्मा, प्रो. शालिनी सिंह, प्रो. श्याम किशोर सिंह, प्रो. देवेंद्र प्रताप तिवारी, प्रो. ललन कुमार राय ने कहा कि निश्चय ही यह समाज में आए बदलाव की झलक है।
महिलाओं में स्तनपान के प्रति भी गजब का रूझान
यहीं नहीं महिलाओं में स्तनपान के प्रति भी गजब का रूझान बढ़ा है। 6 महीने तक के बच्चे का स्तनपान फीसद पूर्व में 38.4 था, जो अब बढ़कर 63.7 फीसद हो गई है। जिले में स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा 12 से 23 महीने के बच्चों का टीकाकरण दर भी तेजी से बढ़ा है। गर्भवती का संस्थागत प्रसव का फीसद 37 से बढ़कर 65 फीसद हो गया है। 91 फीसद पंजीकृत गर्भवती को एमसीपी कार्ड उपलब्ध करवाया गया। इसके अतिरिक्त 6 महीने तक के बच्चों का स्तनपान फीसद, डायरिया से पीड़ित बच्चों का ओआरएस के द्वारा इलाज, गर्भवती महिलाओं द्वारा आयरन फोलिक एसिड टैबलेट के सेवन आदि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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