विदेशों तक जाती है गुड़ व भूरे की सोंधी खुशबू

बिहारशरीफ। मकर संक्रांति को लेकर चौक-चौराहों पर तिलकुट, तिलवा, भूरा, अदरखी और चूड़ा की दुकान में ग्राहकों की काफी भीड़ देखी गई। तिलवा, तिलकुट और भूरे की सोंधी खुशबू तो गोला रोड बाजार की पहचान मानी जाती ही है। पर्व को लेकर आजकल पूरा इलाका इस सोंधी खुशबू को महसूस कर रहा है। गुरुवार को मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व की खरीदारी के लिए इलाके भर से खरीदारों की भीड़ इन दुकानों पर उमड़ पड़ी हैं।

आज भी यहां के गुड़ से बने भूरे और अखरा तिल से तैयार सोंधी तिलकुट की अपनी अलग ही पहचान है। यहां के ऐसे कई कारीगरों के भूरे और तिलकुट दूसरे जिलों समेत कई अन्य प्रदेशों में भी मंगवाए जाते हैं। गोलापर निवासी गुड़ व भूरा विक्रेता नरेश राम बताते हैं कि उनके यहां सऊदी अरब जैसे कई अन्य देशों में नौकरी करने वाले स्थानीय लोग भी आते हैं और जो नौकरी पर जाते समय यहां का भूरा ले जाना नहीं भूलते।

इतना ही नहीं, वहां के नागरिकों को भी यहां का भूरा काफी पंसद आता है। वह काफी चाव से इसे देहाती मिठाई कह कर खाते हैं। वहीं, तिलकुट के पुराने और प्रसिद्ध कारीगर व विक्रेता प्रयाग राम के पुत्र कृष्णा कुमार ने बताया कि बाजार में आजकल डिब्बा बंद ब्रांडेड तिलकुट भी खूब आ रहे हैं, पर इलाके में यहां की बनी तिलकुट ही पंसद किये जाते हैं। वे हमेशा तिलकुट अखरा तिल से बनाते आएं हैं जो डिब्बा बंद धोबा तिल की अपेक्षा ज्यादा सोंधी होती है। इसके कारण सालों से उनके तिलकुट काफी पसंद किए जाते हैं।
अच्छे बाजार और बेहतरीन खरीददार को देखकर विगत कुछ वर्षो से यहां कई अन्य जिलों के कारीगर भी अपनी दुकानें लगाने आते हैं। मांग को देखते हुए कारीगर दिन-रात तिलकुट की कुटाई में लगे हुए हैं, ताकि बेहतर से बेहतर तिलकुट ग्राहकों को उपलब्ध कराई जा सके। वहीं, गुड़ के तिलकुट की मांग इन दिनों काफी बढ़ी हुई है। मधुमेह रोगियों के लिए इसे सुरक्षित माना गया है। गुड़ तिलकुट जहां 220 रुपये प्रति किलो बेची जा रही है। वहीं, चीनी का तिलकुट 200 के भाव बिक रहा है।
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