जेवर दुकान में चोरी का नहीं मिला सुराग

नवादा। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के नहर पर स्थित जेवर दुकान से चोरी मामले में पुलिस को अबतक कोई सुराग नहीं मिल सका है। खेत से चोरी के जेवरात के डिब्बे बरामद होने के बाद विशेष जांच के लिए मंगाया गया श्वान दस्ता भी नाकाम साबित हुआ। खोजी कुत्ता भी अपराधियों तक पहुंचने में मदद नहीं दिला सका। खोजी कुत्ता खेत के आसपास ही घूमता रहा। श्वान दस्ता की कार्रवाई भी महज खानापूर्ति साबित हुई। कुल मिलाकर चोरी का उद्भेदन करने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम बनी हुई है। जिससे जेवर कारोबारियों का रोष बढ़ता ही जा रहा है। लोगों का कहना है कि पुलिस मामले में पूरी तरह से लापरवाही बरत रही है। स्थिति यह है कि चोरी के कई दिन बाद महज कुछ खाली डिब्बे ही बरामद कर सकी, वो भी घटनास्थल से चंद दूरी पर। इससे पुलिस की सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। गौरतलब है कि 11-12 जनवरी की रात मुफस्सिल थाना क्षेत्र के नहर पर विकास कुमार वर्मा की जेवर दुकान से चोरी हुई थी। बदमाशों ने दुकान का शटर काट कर लाखों रुपये के बेशकीमती जेवर पर हाथ साफ कर दिया था। जिसके बाद दुकान संचालक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। घटना से गुस्साए लोगों ने पटना-रांची पथ को जाम कर दिया था। लोगों का कहना था कि घटनास्थल से सौ मीटर की दूरी पर पुलिस थी। बावजूद चोरी की घटना हो गई। पुलिस पूरी तरह लापरवाही कर रही है। हालांकि लोगों के इस आरोप के आलोक में अबतक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। मुफस्सिल थानाध्यक्ष लाल बिहारी पासवान ने बताया कि चोरी मामले की जांच चल रही है।


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घटना के छठे दिन डॉग स्क्वायड ने की जांच
- पुलिस की निष्क्रियता का आलम यह है कि घटना के छठे दिन डॉग स्कावयड को चोरी की जांच करने के लिए बुलाया गया। ऐसे में यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि छह दिनों बाद जांच में श्वान दस्ता को क्या हाथ लगेगा। हालांकि पुलिस का तर्क है कि खेत से ज्वेलरी के डिब्बे बरामद होने के बाद जांच के लिए श्वान दस्ता मंगाया गया था। गौरतलब है कि शनिवार को भरोसा गांव जाने वाली रास्ते के बगल एक खेत से ज्वेलरी के डिब्बे, क्षतिग्रस्त माउस बरामद किया गया था।
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धमौल में भी दो जेवर दुकानों में हो चुकी है चोरी
- जिले के धमौल सहायक थाना क्षेत्र के धमौल बाजार में एक ही रात दो जेवर दुकानों में लाखों के जेवरात की चोरी की ली गई। इस मामले में भी पुलिस के हाथ खाली है। अब तक पुलिस अंधेरे में तीर मार रही है। जिसके चलते चोरों का पता लगाने में पुलिस नाकाम है।
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पुलिस का सूचना तंत्र भी समाप्त
- जिले की पुलिस मुख्य तौर पर वैज्ञानिक जांच पर टिक गई है। सूचना तंत्र बिल्कुल समाप्त हो चुका है। पुलिस के पास मुखबिरों की कमी हो गई है। जिसके चलते महकमे को कोई सफलता नहीं मिल रही है। वैज्ञानिक जांच में कोई सुराग मिलने पर पुलिस आगे बढ़ती है, अन्यथा महज प्राथमिकी दर्ज कर इतिश्री कर ली जा रही है। जरुरत है कि पुलिस को सूचना तंत्र को विकसित करने की।
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