शुरुआती सफलताओं के बाद पिछड़ जा रही जिले की पुलिस

नवादा। शुरूआती सफलताओं के बाद जिले की पुलिस सुस्त पड़ जा रही है। नतीजतन अपराधियों को इसका फायदा मिल जा रहा है। शुरू में पकड़े गए अपराधी जमानत पर छूट कर सलाखों के बाहर आ जा रहे हैं तो बाकी बचे अपराधियों तक पुलिस पहुंच नहीं पा रही है। जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में कई ऐसे मामले हैं, जिसमें घटना होने पर पुलिस सक्रिय हुई और अपराधियों को गिरफ्तार कर वाहवाही लूटी। लेकिन उन घटनाओं में शामिल बाकी बदमाशों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। संबंधित थानों की पुलिस अनुसंधान जारी रहने की बात कह अपना पल्ला झाड़ ले रही है। पुलिस की इस सुस्ती के कारण अनुसंधान भी प्रभावित हो रहा है। यह स्थिति तब है, जबकि सभी थानों में विधि व्यवस्था के अलग और अनुसंधान के लिए अलग टीम है।


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जिला आसूचना इकाई पर निर्भर हो गई है पुलिस
- जिले के सभी थानों की पुलिस बड़ी घटनाओं के पर्दाफाश में जिला आसूचना इकाई पर निर्भर हो गई है। डीआइयू की टीम घटना होने के बाद एसपी के निर्देश पर सक्रिय होती है और वैज्ञानिक अनुसंधान तक अपराधियों तक पहुंचती है। अधिकांश मामलों में आपराधिक घटनाओं में शामिल कुछ बदमाश वैज्ञानिक अनुसंधान के क्रम में पुलिस की पकड़ में आ जाते हैं। जिसके आधार पर पुलिस अपनी वाहवाही लूटती है। प्रेस वार्ता में अन्य अपराधियों की संलिप्तता की बात स्वीकारी जाती है और उसके गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी रहने की बात कही जाती है। लेकिन संबंधित थानों की पुलिस उसके बाद दिलचस्पी नहीं लेती। वैसे इसके पीछे एक वजह यह भी है कि पुलिस का सूचना तंत्र मृतप्राय है। मोबाइल सर्विलांस और वैज्ञानिक अनुसंधान के सहारे पुलिस काम कर रही है। अब डीआइयू की एक छोटी सी टीम को सभी घटनाओं में नजर बनाए रखना मुश्किल है। यह काम थानों की पुलिस का है, जिसमें सुस्ती बरती जाती है।
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न्याय मिलने में होता है विलंब
- पुलिस की इस सुस्ती के चलते पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने में विलंब हो रहा है। एक ओर जहां पुलिस की पकड़ में आए बदमाश सुस्ती का फायदा उठाते हुए जमानत पाने में सफल हो जाते हैं, वहीं अन्य अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर रहते हैं। पुलिस इस रवैए के कारण पीड़ित पक्ष में असंतोष देखा जा रहा है तो आपराधिक गतिविधियां भी बढ़ी हुई हैं।
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शुरूआती सफलताओं से जुड़ी घटनाओं पर एक नजर
घटना संख्या एक - 14 मई को भाजपा जिलाध्यक्ष संजय कुमार मुन्ना की टीवी शोरूम के गोदाम से कई इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की चोरी हुई। सत्तारूढ़ दल का मामला होने पर पुलिस हरकत में आई। डीआइयू की टीम ने घटना में शामिल चार बदमाशों को गिरफ्तार किया। इस संबंध में तत्कालीन एसपी ने विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी थी। घटना में चार और बदमाशों के नाम शामिल होने की बात सामने आई थी। लेकिन घटना के छह महीने बाद अन्य बदमाशों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका। अभी 19 एलईडी की बरामदगी नहीं हो सकी है। शुरूआत में जो बदमाश पकड़े गए थे, वे जमानत पर छूट गए।
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घटना संख्या दो - 30 नवंबर को रजौली थाना क्षेत्र के विनोबा नगर में रिटायर्ड दरोगा शिवनारायण राम की पत्नी लाछो देवी, पुत्र राजीव कुमार व राज कुमार की हत्या। इस मामले में मृतका के सौतेला पुत्र समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने जानकारी दी थी कि घटना में दो और बदमाश शामिल हैं, जिसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। लेकिन इतने दिनों बाद भी शेष दो अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
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घटना संख्या तीन - 7 दिसंबर को कौआकोल थाना क्षेत्र छबैल गांव में जलवाहक रामबरन ठाकुर की हत्या कर दी गई थी। गर्दन में कैंची घोंप कर निर्मम हत्या की गई थी। कुछ दिनों बाद पुलिस ने एक बदमाश को गिरफ्तार किया। लेकिन उसके बाद घटना में शामिल किसी भी अपराधी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। घटना के कारणों का भी पर्दाफाश नहीं हो सका है।
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