सांसद ग्राम सहित पताही के बाराशंकर में खुलेगी मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशाला

मोतिहारी। कृषि विभाग जिले के युवाओं को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ग्राम स्तर पर मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित करने में जुटा है। इसके लिए जिले के दो किसानों का चयन किया गया है, उन्हें 21 जनवरी को पटना स्थित संयुक्त निदेशक रसायन मिट्टी जांच प्रयोगशाला में चयन पत्र दिया जाएगा। इसके बाद चयनित व्यक्ति मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना कर सकेंगे। उन्हें परियोजना लागत (पांच लाख) पर विभाग द्वारा 75 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। जबकि 25 प्रतिशत अंशदान लाभुक वहन करेंगे। जिन दो लोगों का चयन किया गया है उनमें पहला चकिया प्रखंड स्थित सांसद आदर्श ग्राम खैरीमल निवासी रघुनाथ राम व दूसरा पताही प्रखंड के बाराशंकर ग्राम निवासी श्याम कुमार साह शामिल है। उन्हें सर्वप्रथम जांच लैब तैयार करना होगा। इसके लिए ग्लास वेयर, केमिकल, कम्प्यूटर, प्रिटर आदि का सेटअप तैयार करना होगा। इसके लिए अगल-अलग राशि का बंटवारा किया गया है। लैब तैयार होने की सूचना विभाग को देना होगी, जहां से गठित टीम प्रयोगशाला के मानकों की जांच करेगी। इसके बाद अनुदान की राशि डीबीटीएल के माध्यम से अनुदान की राशि दी जाएगी।


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मिनी लैब में किसान करा सकेंगे मिट्टी जांच चयनित स्थल पर लैब स्थापित होने के बाद किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच करा सकेंगे। इसके लिए किसानों को पैसे का भुगतान नहीं करना होगा। लैब संचालक द्वारा निश्शुल्क जांच कर स्वायल हेल्थ कार्ड किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। वही लैब संचालक को प्रति मिट्टी नमूने के जांच के बाद 180 रुपये की दर से विभागीय स्तर पर भुगतान किए जाने का प्रावधान है। ग्रामीण स्तर पर खुलने वाली मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशाला में सभी 12 तत्वों की जांच हो सकेगी। प्रयोगशाला में मिट्टी में पाए जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैगभनीशियम, सल्फर, जिक, आयरन, बोरान, मैगभनीज, कॉपर, मालीबेडनम व क्लोरीन की जांच होगी। वैज्ञानिकों की माने तो मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है। मिट्टी को कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन वातावरण व जल से उपलब्ध होते है, लेकिन शेष पोषक तत्व अन्य स्त्रोत से पूरा करना होता है। ग्रामीण स्तर पर खुलने वाले मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशाला में विभिन्न उपकरणों की आवश्यकता नहीं होगी। यहां किट के माध्यम से खेतों की मिट्टी जांच कर करीब आधे घंटे में किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड उपलब्ध हो सकेगा। जबकि मिट्टी जांच की प्रक्रिया में लैब में चार से पांच दिनों का समय लगता है। प्रयोगशाला का उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार सहायक निदेशक रसायन अमितेश कुमार ने बताया कि गांवों में मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना का उद्देश्य यह है कि मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार एवं किसानों की आय में वृद्धि करने के साथ ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का सृजन करना। साथ ही मिट्टी जांच में लगने वाले समय को कम करना और किसानों को उनके द्वार पर मिट्टी जांच की सुविधा उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना करने वाले आवेदक के पास स्वयं का निजी भवन अथवा कम से कम चार वर्ष के लिए लीज पर किराए का भवन होना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि जिले को मिलने वाले मिट्टी जांच के लक्ष्य को ससमय पूरा करने के लिए मिनी लैब को भी जांच के लिए सेंपल उपलब्ध कराया जाएगा और इसके लिए उन्हें सरकारी दर से भुगतान भी किया जाएगा।
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