बर्ड फ्लू पर सतर्कता, पक्षियों की मौत पर विभाग की नजर

पूर्णिया। बर्ड फ्लू की आशंका को लेकर जिले में भी पशुपालन विभाग पक्षियों के मौत पर नजर रख रही है। अभी तक जिले में कोई संदेहास्पद मामला उजागर नहीं हुआ है लेकिन सीमावर्ती जिला होने के कारण सर्तकता बरती जा रही है। पशु चिकित्सा विभाग को गाइडलाइन जारी किया है। पक्षियों और मुर्गी फॉर्म पर विशेष निगरानी की जा रही है पक्षियों की मौत पर विभाग को सूचना देने का निर्देश दिया गया है। सतर्कता संबंधित विभाग द्वारा सभी आवश्यक उपाय शुरू कर दिया गया है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अंतर्गत स्थानीय बत्तख, पोल्ट्री फॉर्म और दुकानों की गिनती कर सूची तैयार की गई है।


साथ ही इसकी आपूर्ति पर भी नजर रखी जा रही है। पश्चिम बंगाल से पक्षियों की आपूर्ति होती है पशु चिकित्सा अधिकारी वन विभाग के अधिकारियों के साथ पक्षियों पर भी नजर रख रही है अगर कोई पक्षी मर जाता है तो इसकी जानकारी मुख्य पशुपालन चिकित्सा अधिकारी को देने का निर्देश दिया गया है। अगर पक्षी की मौत की सूचना मिलती है तो विभाग के अधिकारी स्थान का निरीक्षण करेंगे। पक्षी के मरने पर उसके शव का पोस्टमार्टम अवश्य किया जाएगा। साथ ही पक्षियों का नमूना जांच के लिए विशेष पैकिग में विशेष वाहन द्वारा भेजा जाएगा। साथ ही चिकित्सकों को समस्त सामग्री की व्यवस्था किए जाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही रैंडम पक्षियों की जांच और उसका सैंपल संग्रह किया जाएगा और जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. अमरेंद्र कुमार ने बताया कि एहतियाती कदम उठाये गए हैं। निगरानी रखी जा रही है। पक्षियों के नियमित नमूने लैब टेस्ट भेजे जाते हैं। रैपिड रिस्पांस टीम गठित कर दिया गया है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है।
बर्ड फ्लू के क्या हैं लक्षण -: पक्षी का सिर आगे और पीछे की तरफ फैल जाता है। कम समय में अधिक पक्षियों का अधिक संख्या में मौत हो जाती है। मुंह का फूल जाना और टांगों पर खून के धब्बे होते हैं। प्रभावित होने वाली प्रजाति में बत्तख, मुर्गी बटेर आदि पक्षी शामिल है। कौवे पर भी नजर रखी जा रही है। कई राज्यों में कौवे में रोग की पुष्टि हुई है। मनुष्य पर होता है प्रभाव -: इसका प्रभाव मनुष्य और पशुओं पर भी पड़ता है। सूअर, बंदर और मनुष्य शामिल हैं। बर्ड फ्लू का वायरस भी श्वसन तंत्र पर हमला करता है। जिला स्वास्थ्य समिति के इपीडोमोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला का कहना है 2010 में एक बार पूर्णिया में बर्ड फ्लू की आशंका में बड़ी संख्या में पक्षियों को नष्ट किया गया था। आशंका वाले इलाके तीन किमी के क्षेत्र को घेराबंदी कर लोगों के मूवमेंट में पावंदी लगाई गई थी। दरअसल स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू वायरस श्वसन तंत्र पर हमला करता है। स्वाइन फ्लू एच वन एन वन है जबकि एवियन फ्लू यानी बर्ड फ्लू को एच 5 एन 8 कहते हैं। यह वायरस भी कोरोना की तरह मनुष्य के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। सांस में दिक्कत होना, खांसी के साथ सिर दर्द, उल्टी बुखार के साथ शरीर में अकड़न, पेट में दर्द के लक्षण होते हैं। बचाव के लिए फिलहाल लोगों को पक्षियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। चिकन अच्छे से पका कर खाना चाहिए।
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