दाउदनगर में पूर्व में आया है चार बार अविश्वास प्रस्ताव

दाउदनगर (औरंगाबाद)। नगर परिषद दाउदनगर में 2002 से शुरू चुनावी राजनीति में शनिवार 30 जनवरी 2021 से पहले चार बार अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाया जा चुका है। जब चुनाव हुआ तो 2002 में, नारायण प्रसाद तांती और रोहिणी नंदिनी क्रमश: चेयरमैन और वाइस चेयरमैन बने। तब नगर पंचायत में कुल 18 वार्ड पार्षद थे। अप्रैल 2005 में अविश्वास प्रस्ताव आया और नारायण प्रसाद तांती की सत्ता चली गई।

09 जून 2005 को चुनाव हुआ और सावित्री देवी चेयरमैन बन गईं। तब रोहिणी नंदिनी लगातार पांच साल तक वाइस चेयरमैन की कुर्सी पर रहीं। 09 जून 2007 को परमानंद प्रसाद चेयरमैन और अजय कुमार पांडे उर्फ सिद्धि पांडे वाइस चेयरमैन बने। जून 2009 में दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। दोनों की सत्ता चली गई, लेकिन फिर दोनों क्रमश: चेयरमैन और वाइस चेयरमैन बने। 21 सितंबर 2011 को इनके खिलाफ फिर अविश्वास प्रस्ताव आया। दोनों मिल गए और नतीजा परिणाम को अपने पक्ष में लाने में सफल रहे। तब अविश्वास प्रस्ताव गिर गया और दोनों की कुर्सी बच गई। फिर जब चुनाव हुआ तो 9 जून 12 को धर्मेंद्र कुमार चेयरमैन और कौशलेंद्र कुमार सिंह उप मुख्य पार्षद बने। सिर्फ धर्मेंद्र के खिलाफ जून 2014 में अविश्वास प्रस्ताव आया और यह पारित हुआ। तब 27 जून 14 को परमानंद प्रसाद पुन: मुख्य पार्षद बन गए। कौशलेंद्र कुमार सिंह बिना अविश्वास प्रस्ताव का सामना किए ही दोनों के साथ उप मुख्य पार्षद बने रहे। दोनों ने तय कार्यकाल पूरा किया। मात्र दो मुख्य पार्षदों को अविश्वास से पड़ा है हटना

अप्रैल 2005 में अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ नारायण प्रसाद तांती के खिलाफ आया था, जो तब चेयरमैन थे। रोहिणी नंदनी जो वाइस चेयरमैन थीं। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया था। अप्रैल 2005 से चेयरमैन बनी सावित्री देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कभी नहीं आया। नारायण प्रसाद तांती के समय वाइस चेयरमैन रोहिणी नंदिनी को कभी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना ही नहीं पड़ा। वह तांती के साथ सावित्री देवी के समय भी उप मुख्य पार्षद बनी रहीं। दो बार अविश्वास प्रस्ताव झेल चुके परमानंद प्रसाद और अजय कुमार पांडे उर्फ सिद्धि पांडे से जुड़ी घटनाएं सबसे रोचक रही हैं। ------------------- जो भी विकास हुए वे पूर्व बोर्ड के थे निर्णय: कौशलेंद्र
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पूर्व उप मुख्य पार्षद कौशलेंद्र कुमार सिंह ने परिणाम के बाद बताया कि विकास कार्यो में यह बोर्ड असफल रहा था। विकास कार्यों में लूट और निर्माण कार्य में गुणवत्ता की खराबी के कारण जनाक्रोश काफी था। उन्होंने कहा कि जितने विकास कार्य हो रहे हैं वह सब पूर्व के बोर्ड का की देन है।
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