वास्तविक किसान तो खेतों में ढूंढ रहे समाधान

जमुई। हाल ही में पारित तीन कृषि कानून पर देश भर में बवाल मचा है। विपक्ष हाय तौबा मचा रहा है और मीडिया का भी एक वर्ग इस कानून को किसान के अहित से जोड़कर देख रहा है। इन तमाम बातों से जमुई के किसान इत्तेफाक नहीं रखते। वह कृषि कानून पर हो हल्ला मचाने वालों को किसान मानते ही नहीं। सवालिया लहजे में किसान कहते हैं कि जो कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाया है वह तो बिहार में 14 साल पहले ही लागू कर दिया गया था। इससे किसान का नुकसान कहां हुआ। बड़ी बात तो यह हुई कि बाजार समिति और मंडी टैक्स से किसानों को निजात मिल गया, अन्यथा किसानों को फसल की कीमत मिलने से पहले ही कई जगह टैक्स से गुजरना पड़ता था। बरहाल जागरण ने शनिवार को कृषि कानून के प्रति किसानों की सोच की पड़ताल की तो कई तथ्य सामने आए।


शनिवार की दोपहर बाद खैरा प्रखंड अंतर्गत तरी दाविल गांव के जागरूक किसान विपिन मंडल गेहूं खेत में पटवन करते हुए नजर आते हैं। उनसे केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानून का सवाल छेड़ते ही वे संपूर्ण आंदोलन को ही कटघरे में खड़ा कर देते हैं। वह आंदोलनकारियों को किसान मानने के लिए तैयार ही नहीं। उन्होंने कहा कि आज जो कानून देश भर के लिए लागू हुआ है वह तो बिहार में बरसों पूर्व से लागू है। सरकार की नीति में नहीं, बल्कि व्यवस्थागत खामियों को दूर करने की दरकार है। विपिन कहते हैं कि कृषि कानून और कृषक हित से इस आंदोलन का कोई लेना देना नहीं है बल्कि इसकी आड़ में विपक्ष गंदी राजनीति कर रहा है।
तरी दाविल गांव के ही नागेश्वर साह तथा कुलदीप शाह खलिहान में धान की झरनी के बाद नेवारी (विचाली) का पुंज लगवा रहे हैं। वह कहते हैं कि असली किसान तो अपने काम पर लगा है। उसे आंदोलन और कानून से क्या लेना देना। हम मेहनत करेंगे तो फसल उपजाएंगे। कानून से थोड़े फसल उत्पादन पर असर पड़ेगा। रही बात बेचने की तो इसके लिए सरकार जन वितरण प्रणाली बंद कर दे किसान का दिन खुद ब खुद सुधर जाएगा। गरीब को अनाज के बदले उसके खाते में नकद राशि की व्यवस्था हो गई तो किसान और गरीब दोनों का कल्याण हो जाएगा।
चकाई प्रखंड के हेट चकाई के किसान कामदेव राम ने भारत सरकार द्वारा पेश किए गए कृषि कानून का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि संसद में मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए बिल के खिलाफ लोगों द्वारा किया जा रहा आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। वास्तविक किसानों को इस आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। वास्तविक किसान अपने खेतों में मेहनत कर रहे हैं।
गिरधार के किसान अरविद सिंह बताते हैं कि देश भर के कृषकों की गरीबी इस कृषि बिल के जरिए ही दूर हो सकती है। कानून पास होने से कृषकों की जीत हुई है। इस कृषि कानून से कृषकों की आय दुगनी होगी। किसान विरोधी विपक्ष इस कानून पर राजनीति कर कृषकों का अहित करना चाहता है। केन्द्र की मोदी सरकार कृषकों के साथ व उनके विश्वास का प्रतीक है। किसान आंदोलन से असली किसानों को कोई मतलब नहीं है।
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