बुढ़नई पंचायत को दो पाटों में बांटती है महानंदा नदी

किशनगंज। पोठिया प्रखंड की बुढ़नई पंचायत ठाकुरगंज की सीमा से बिल्कुल सटी हुई है। 2001 में यह पंचायत अस्तित्व में आई। 14 वार्डो वाली इस पंचायत को बीचोबीच महानंदा नदी बहती है। यानी महानंदा नदी पंचायत को दो भागों में बांटती है। भौगोलिक ²ष्टिकोण के मुताबिक वार्ड नंबर एक, दो और तीन महानंदा नदी के पश्चिम छोर पर बसा हुआ है, जबकि वार्ड संख्या चार से 14 तक महानंदा नदी के पूरबी छोर पर है।

पंचायत के काशीबाड़ी, ललबाड़ी, निचानपाड़ा, टप्पू शरीफ, आदिवासी टोला, शीशा बाड़ी, कानाडूबा तथा हलीमनगर डांगी बस्ती नदी के किनारे पर होने से उक्त गांव के लोगों को हर साल बाढ़ विभीषिका से जुझना पड़ रहा है। नदी कटाव ग्रामीणों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। सैकड़ों एकड़ खेती योग्य भूमि नदी कटाव का शिकार हा चुका है। जिससे किसान बेहद चितित है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि डांगीबस्ती हलीम नगर स्थित काशीबाड़ी महानंदा घाट पर यदि पुल निर्माण कार्य हो जाय तो बुढ़नई पंचायत तीन वार्ड सहित ठाकुरगंज प्रखंड के दर्जनों गांव का संपर्क मुख्य सड़क सहित जिला मुख्यालय से जुड़ जाएगा।

2001 से पहले यह पंचायत तैयबपुर और नवनदी पंचायत का हिस्सा हुआ करता था। पंचायत में चार राजस्व ग्राम है। जिस में बुढ़नई सबसे बड़ा राजस्व ग्राम है। सबसे बड़ा राजस्व ग्राम होने के कारण पंचायत का नाम बुढ़नई पड़ा। पंचायत का लगभग 75 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बुढ़नई मौजा में बसा हुआ है। पंचायत की जनसंख्या लगभग 15 हजार है। मतदाताओं की संख्या 8448 है। लगभग 35 सौ राशन कार्डधारी हैं।
शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन है प्रभावित पंचायत में सात मध्य विद्यालय, सात प्राथमिक विद्यालय और एक हाई स्कूल है। आंगनबाड़ी केंद्रों की संख्या 12 है। हाईस्कूल में शिक्षकों की पदस्थापना नहीं होने से पठन-पाठन प्रभावित है।
स्वास्थ्य केंद्र का नहीं मिल रहा लाभ एक अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन आज तक चिकित्सक व कर्मियों की पदस्थापना नहीं हो पाई है। मजबूरन लोगों को इलाज के लिए 20 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोठिया जाना पड़ता है।
नहीं है पशु अस्पताल पंचायत में पशु चिकित्सालय नहीं होने से पशुपालकों को पशुधन की इलाज के लिए 20 किमी दूर पशु चिकित्सालय पोठिया जाना पड़ता है। नल-जल योजना का मिल रहा लाभ पंचायत में महज चार वार्ड 9, 10, 11 और 12 में हर घर नल का जल योजना शुरू हुई है। शेष 10 वार्डों में ग्रामीणों को नल-जल योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
पंचायत में बनी हैं सड़कें पंचायत में लगभग 70 फीसदी सड़क तथा 90 फीसदी पुल-पुलिया का निर्माण कार्य हो चुका है। इस वजह से ग्रामीणों को आवागमन में हद तक सहूलियत मिल पा रही है।
साफ-सफाई की है व्यवस्था पंचायत में साफ-सफाई की हालत ठीक-ठाक है। जगह-जगह डस्टबिन लगाए गए हैं। हालांकि डस्टबिन की नियमित साफ-सफाई नहीं हो पा रही है।
नहीं लगाई गई हैं स्ट्रीट लाइटें पंचायत की गली मोहल्ले में स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था नहीं है। जिस कारण ग्रामीणों को रात में परेशानी हो रही है।
पंचायत सरकार भवन का हो रहा निर्माण पंचायत के गंजाबाड़ी में एक करोड़ 13 लाख की लागत से पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है, लेकिन अबतक 11 लाख रुपये ही एलॉवट किए गए हैं। वहीं निर्माणाधीन पंचायत सरकार भवन का कार्य छत लेवल तक पूर्ण हो चुका है। राशि के अभाव में कार्य बंद है। कोट वार्ड संख्या सात के सदस्य लुकमान अंसारी बताते हैं कि वार्ड में विकास के कई काम किए गए हैं। गली नाली योजना के तहत दस गलियों का पीसीसी ढलाई व छह गलियों का पेभरर ब्लॉक से निर्माण कराया गया है। जिसपर 25 लाख खर्च किया गया है। वार्डवासियों को हर घर नल का जल का लाभ नहीं मिल पाया है। गंजाबाड़ी स्थित हबीबुर्रहमान के घर से सारोगोड़ा पंचायत की सीमा तक सड़क का पक्कीकरण और मरामहांदी में पुल निर्माण काफी जरूरी है। इसी प्रकार उमवि झारबाड़ी से बुढ़नई पैक्स भवन तक कच्ची सड़क का पक्कीकरण कार्य आवश्यक है।
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वार्ड संख्या छह के सदस्य रहीमुद्दीन उर्फ बुधू का कहना है कि वार्ड में गली नाली योजना के तहत 25 लाख की लागत से सड़क पीसीसी ढलाई, पेभर ब्लॉक से निर्माण कराया गया है। मनरेगा योजना के तहत 25 लाख रुपए की लागत से मिट्टी भराई कार्य किया गया है। कुल मिलाकर वार्ड में 50 लाख का काम कराया गया है। वार्ड में हर घर नल का जल शुरू नहीं होने से लोगों को शुद्ध पेयजल का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि आदिवासी टोला शीशा बाड़ी से मुख्य सड़क को जोड़ने वाली सड़क पक्कीकरण कार्य नहीं होने से ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। वहीं झारबाड़ी गांव में जलनिकासी हेतु पक्की नाला का निर्माण अत्यंत जरूरी है।
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वार्ड संख्या 11 के सदस्य रौनक आलम ने बताया कि पूरे पंचायत में विकास का काम हुआ है। इस वार्ड में सड़क पीसीसी ढ़लाई सहित अन्य योजनाओं से लगभग 25 लाख रुपये का विकासात्मक कार्य कराए गए हैं। वार्ड में पक्की नाला निर्माण कार्य नहीं होने से जलनिकासी नहीं हो रहा है, जो एक जटिल समस्या है। कालीबाड़ी घाट पर पुल निर्माण नहीं होने से ग्रामीणों को छोटी नाव से जान जोखिम में डालकर नदी पार होना पड़ता है। यदि उक्त स्थान पर पुल निर्माण कार्य हो जाए तो लोगों आवागमन में काफी सुविधा होगी।
मुखिया का दावा मुखिया नीलम शबा कहती हैं कि पांच साल के कार्यकाल में पंचायत क्षेत्र में कई विकासात्मक कार्य कराए गए हैं। पंचम वित्त, 14 वीं, 15 वीं वित्त, मुख्यमंत्री सात निश्चय व मनरेगा योजना से लगभग ढाई करोड़ का काम पंचायत में कराया गया है। हर गांव में विकास की रोशनी पहुंची है। पंचायत में कई समस्याएं भी हैं। जिसमें डांगी बस्ती हलीमनगर स्थित काशीबाड़ी महानंदा नदी घाट पर पुल निर्माण कार्य जरूरी है। पुल निर्माण नहीं होने से पंचायत दो भागों में बंटी हुई है। हालांकि पुल निर्माण के लिए विधायक व सांसद का ध्यानाकर्षित कराया गया है। दो वर्ष पूर्व अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र झारबाड़ी का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ है, लेकिन आज तक चिकित्सक एवं कर्मियों की पदस्थापना नहीं हो पाई। पंचायत के गंजाबाड़ी में एक करोड़ 13 लाख की लागत से पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। लेकिन अबतक 11 लाख रुपए ही अलॉट किया गया है। राशि के अभाव में पंचायत सरकार भवन का काम बंद है। पंचायत में लगभग 80 फीसद सड़क व पुल-पुलिया का निर्माण कार्य हो चुका है। शेष 20 फीसद के लिए प्रयास जारी है। हर गांव में पंचायत मद से सड़क पीसीसी, वेपर ब्लॉक निर्माण कार्य, पक्की नाला निर्माण, सड़क, कब्रिस्तान तथा विद्यालय प्रांगण में मनरेगा योजना से मिट्टी भराई कार्य तथा उमवि सोहागी (बीईपी) का मिट्टी भराई कार्य सहित चारदीवारी निर्माण कार्य कराया गया है। उमवि बोचनई को अपग्रेड कर हाई स्कूल का दर्जा तो दिया गया है। लेकिन एक साल बाद भी विद्यालय में शिक्षकों की बहाली नहीं होने से बच्चों को पठन-पाठन में काफी दिक्कत हो रही है।
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