35 लाख की ठगी में 25 हजार ही खाते में हुए ट्रांसफर, शेष राशि ली गई कैश

दरभंगा। बेंरोजगारी के बीच पश्चिम बंगाल के व‌र्द्धमान जिले में रेलवे में नौकरी दिलाकर ठगी करनेवाले गिरोह ने बंगाल, बिहार और झारखंड के युवकों को टारगेट किया है। इनमें साधारण परिवार से लेकर नौकरी-पेशा लोगों की संतान शामिल है। अब तक इस गिरोह ने न जाने कितने लोगों को अपना शिकार बना लिया है। लेकिन, शनिवार को दरभंगा जिले के सिमरी थाने में दर्ज हुई एक प्राथमिकी में 35 लाख की ठगी का मामला सामने आने के बाद पुलिस के होश उड़ गए हैं। पुलिस एक्टिव हुई है। बिचौलिया दबोचा गया है। अब बिहार पुलिस बंगाल में जाकर गिरोह को दबोचने की तैयारी में है। सबसे अहम यह है कि 35 लाख में से मात्र 25 हजार रुपये ही खाते में ट्रांसफर हुए हैं। उसी बैंक खाते व बिचौलिए के सहारे पुलिस गिरोह के सरगना तक पहुंचने की तैयारी में है। ग्रामीण इलाके में सक्रिय हैं गिरोह के कारिदे


जानकार बताते हैं कि गिरोह ने ग्रामीण इलाके में अपना कारिदा बहाल कर रखा है। ठगी जानेवाली राशि में से बंधा-बंधाया कमीशन मिलता है। सो, ये लोग पैसे वाले बेरोजगार युवकों को अपने झांसे में लेते हैं। फिर गिरोह का सरगना बड़ी राशि हड़प कर जाता है। सिमरी थाना में शनिवार को दर्ज प्राथमिकी ने एक साथ नेटवर्क के चार लोगों के नामों का पर्दाफाश तो किया है। लेकिन, गिरोह से कई लोग जुड़े हैं। इस बात का प्रमाण ठगी के शिकार युवकों द्वारा खातें में ट्रांसफर की गई 25 हजार की राशि से मिला है। राशि कोलकाता रेलवे में कार्यरत खुशवीर सिंह के खाते में गई है। खाता पीएनबी में है। अब पुलिस इस साक्ष्य के बदौलत गिरोह में शामिल अन्य लोगों की तलाश शुरू कर दी है। -------
रिटायर्ड दारोगा का पुत्र और नाती भी हुए शिकार :
रेलवे में नौकरी दिलाकर ठगी करनेवाले गिरोह के झांसे आम युवक तो फंसे ही साथ-साथ रिटायर्ड दारोगा के पुत्र और नाती भी फंस गए। बताया जाता है कि पटना के रहने वाले रिटायर्ड दारोगा महानंद प्रसाद के पुत्र राजन आनंद और नाती अभय आनंद से पांच-पांच लाख रुपये ठगी की गई है।
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बंगाल जाएगी पुलिस की टीम :
सिमरी थाने की पुलिस मामले में गिरफ्तार बिचौलिया सिमरी निवासी वैद्यनाथ दास की निशानदेही पर प्राथमिकी के नामजद आरोपितों की कुंडली खंगालने में जुट गई है। साथ ही गिरोह के मुख्य सरगना केके शर्मा और उसकी पत्नी रत्ना शर्मा के व‌र्द्धमान स्थित आवासीय पते को भी सत्यापन कर रही है। रत्ना के रेलवे में प्रधान लिपिक होने की बात कही जा रही है। लेकिन, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
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साइकिल पर अगरबत्ती बेचने वाला बिचौलिया अचानक बन बैठा अमीर :
मामले में गिरफ्तार बिचौलिया वैद्यनाथ दास कल तक काफी गरीब था। वह साइकिल पर अगरबत्ती रखकर बेचता था। लेकिन, अचानक वह अमीर हो गया। उस समय लोगों को कुछ शक जरूर हुआ। लेकिन, लोगों की नजर इस ओर नहीं गई। ठगी के रुपये आने के बाद उसने सिमरी बाजार में जमीन खरीद कर भव्य मकान का निर्माण कराया। इसके बाद एक पिकअप वैन और दो टेंपो भी खरीदी। देखते-देखते उसका ठाठ-बाट बदलने लगा था।
ऐसे हुई ठगी
मामले की प्राथमिकी दर्ज करानेवाले सिमरी (दरभंगा) के शिवशंकर कुमार, गौरव कुमार और पवन कुमार गुप्ता ने पुलिस को बताया है कि गिरफ्तार वैद्यनाथ दास ग्रामीण हैं। उसने 2015 में सभी से कहा कि मेरे एक मित्र केके.शर्मा और उनकी पत्नी रत्ना शर्मा हैं। ये रेलवे में बड़े अधिकारी हैं। सबकी नौकरी रेलवे में लगवा देंगे। इसके एवज में प्रति व्यक्ति 7-7 लाख रुपये लगेगा। इस बीच बैद्यनाथ ने हम तीनों के अलावा चार अन्य कुल सात लोगों से पांच-पांच लाख रुपये ले लिए। चितरंजन में अपने हाथ से केके.शर्मा को 35 लाख रुपये देने को कहा। केके ने कहा मेरी पत्नी रत्ना शर्मा रेलवे में अधिकारी हैं। सबकी नौकरी लगवा देंगे। लेकिन, नौकरी नहीं लगी। पीड़ितों ने पुलिस को बताया है कि जब नौकरी नहीं लगी तो संबंधित लोगों को रुपया वापस करने के लिए वकालतन नोटिस की। लेकिन, जवाब नहीं दिया। नतीजतन प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
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