नल-जल योजना में अनियमितता एवं शिथिलता बरतने वाले मुखिया पर कसेगा शिकंजा

मधुबनी। मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता एवं शिथिलता बरतने वाले पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर कर्मियों तक पर गाज गिरनी तय हो गई है। जिला प्रशासन ने उक्त योजना में अनियमितता एवं शिथिलता बरतने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जिला पदाधिकारी अमित कुमार ने जिले के सभी बीडीओ को निर्देश दिया है कि मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना के क्रियान्वयन में अनियमितता एवं शिथिलता बरतने वाले मुखिया, वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति (डब्ल्यूआइएमसी) एवं संलग्न कर्मियों के विरुद्ध आरोप गठित कर स्पष्ट मंतव्य के साथ अविलंब रिपोर्ट उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। ताकि, बिहार पंचायत राज अधिनियम-2006 में निहित प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जा सके।


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योजना के कार्यान्वयन व पर्यवेक्षण में बीडीओ की अहम भूमिका :
गौरतलब है कि जिला पदाधिकारी को विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी मिली कि मुख्यमंत्री पेयजल ग्रामीण निश्चय योजना के क्रियान्वयन में मुखिया, वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति एवं इस कार्य में संलग्न कर्मियों द्वारा अनियमितता एवं शिथिलता बरती जा रही है। जबकि, पंचायत राज विभाग द्वारा उक्त योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रखंड स्तर पर बीडीओ को नोडल पदाधिकारी नामित किया गया है। जिस कारण उक्त योजना के कार्यान्वयन एवं पर्यवेक्षण में बीडीओ की महत्वपूर्ण भूमिका है।
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अधिकांश वार्डों में नल-जल योजना अपूर्ण :
गौरतलब है कि फुलपरास के अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह खुटौना प्रखंड के वरीय प्रभारी पदाधिकारी ने नल-जल योजना की समीक्षा रिपोर्ट डीएम को समर्पित किया था। इस रिपोर्ट के माध्यम से डीएम को अवगत कराया गया कि प्रखंड अंतर्गत अधिकांश वार्डों में नल-जल योजना अपूर्ण है। इस योजना के कार्यान्वयन में प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों एवं कर्मियों के पर्यवेक्षण का अभाव है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राशि विमुक्त करने में कई पंचायत के मुखिया द्वारा मनमानी की गई है। वहीं, राशि प्राप्त होने के बाद भी कई वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के द्वारा नल-जल योजना के क्रियान्वयन में काफी शिथिलता बरती जा रही है, जिससे इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ आमलोगों को नहीं मिल पा रहा है। इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने जिले के सभी बीडीओ को कड़ा पत्र भेजा है।
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पंचायत राज अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई :
बीडीओ को भेजे गए पत्र में डीएम ने उल्लेख किया है कि बिहार पंचायत राज अधिनियम की धारा- 170 के अधीन त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 21 के अंतर्गत लोक सेवक घोषित किया गया है। जिस कारण पंचायत प्रतिनिधियों के लिए भी उन सभी मानकों का पालन करना आवश्यक है, जो अन्य लोक सेवकों के लिए निर्धारित है। इस प्रकार कोई दुराचार या नियम विरुद्ध कार्य करने पर पंचायत प्रतिनिधि भी उसी तरह से कानून के घेरे में आएंगे, जिस तरह से अन्य लोक सेवक आते हैं। अधिनियम की धारा-18 (5), धारा-44(4) एवं 70 (5) में भी ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिसके आधार पर पंचायतों के प्रधानों एवं उप प्रधानों को उनके पद से हटाया जा सकता है। बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 में ऐसी व्यवस्था की गई है कि अगर कोई पंचायत प्रतिनिधि नियमानुकूल आचरण अथवा कार्य नहीं करेंगे तो उन्हें वैधानिक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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