टीबी मरीजों के लिए निक्षय पोषण योजना वरदान

लखीसराय । केंद्र सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी (यक्ष्मा) मुक्त करने का निर्णय लिया है। सरकार इसके लिए तमाम प्रयास कर भी रही है। टीबी मरीजों के लिए निक्षय पोषण योजना वरदान साबित हो रही है। टीबी मरीजों के स्वस्थ होने के लिए नियमित रूप से दवा का सेवन करने के साथ पौष्टिक आहार भी जरूरी है। लेकिन गरीब तबके के टीबी मरीज आर्थिक अभाव के कारण पौष्टिक आहार नहीं ले पाने के कारण जल्दी स्वस्थ नहीं हो पाते थे। वर्ष 2017 में निक्षय पोषण योजना शुरू होने के बाद गरीब तबके के टीबी मरीज भी पौष्टिक आहार लेकर जल्दी स्वस्थ होने लगे हैं। उक्त योजना के तहत टीबी विभाग द्वारा मरीजों को इलाज चलने तक पांच सौ रुपये मासिक भुगतान किया जाता है। 2017 से अब तक सरकारी अस्पतालों में इलाजरत जिले के 1,883 टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए पांच सौ रुपये मासिक की दर से 34 लाख 54 हजार रुपये का भुगतान किया जा चुका है। 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने में निक्षय पोषण योजना काफी मददगार साबित होगा। इसके अलावा टीबी मरीजों को घर जाकर नियमित रूप से दवा खिलाने वाले डॉट प्रोवाइडर (आशा कार्यकर्ता) को भी यक्ष्मा विभाग द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है। कैट-वन टीबी मरीज (प्रारंभिक टीबी मरीज) को इलाज चलने तक दवा खिलाने पर डॉट प्रोवाइडर को एक हजार रुपये, कैट-टू (दोबारा टीबी रोग होने वाले मरीज) को दवा की पूरी खुराक खिलाने पर डॉट प्रोवाइडर को एक हजार पांच सौ रुपये एवं कैट-फोर (दवा की पूरी खुराक खाने के बाद भी स्वस्थ नहीं होने वाले गंभीर टीबी मरीज) को दवा की पूरी खुराक खिलाने पर डॉट प्रोवाइडर को पांच हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है। वर्ष 2016 में टीबी मरीजों को दवा खिलाने पर 286 डॉट प्रोवाइडर को पांच लाख 87 हजार 900 रुपये, वर्ष 2017 में 143 डॉट प्रोवाइडर को दो लाख 47 हजार रुपये एवं वर्ष 2018 में 80 डॉट प्रोवाइडर को एक लाख 42 हजार रुपये, 2019 में 65 डॉट प्रोवाइडर को एक लाख 42 हजार एवं वर्ष 2020 में 21 डॉट प्रोवाइडर को एक लाख 37 हजार रुपये का भुगतान किया गया है।


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कोट
निक्षय पोषण योजना टीबी मरीजों को स्वस्थ होने में मददगार साबित हो रही है। उक्त योजना के तहत प्रत्येक माह पांच सौ रुपये मिलने से टीबी मरीज अब बीच में दवा बंद नहीं करते हैं। दवा की पूरी खुराक और पौष्टिक आहार ले रहे हैं। इससे टीबी मरीज ससमय स्वस्थ हो रहे हैं।
- डॉ. प्रकाश चंद्र वर्मा, संचारी रोग, यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी, लखीसराय
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