आदिवासी लोककला का होगा संवर्धन: डॉ. आलोक

सहरसा। शहर के मत्स्यगंधा समीप कला ग्राम में दो दिवसीय आदि विंब महोत्सव का शुभारंभ रविवार को उत्सवी माहौल में किया गया। बटोही सहरसा द्वारा कला संस्कृति एवं युवा विभाग के सहयोग से आयोजित आदि विंब महोत्सव का उद्घाटन राज्य के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री डॉ. आलोक रंजन ने दीप प्रज्वलित कर किया।

दो दिवसीय महोत्सव की शुरूआत रंगारंग सांस्कृतिक आयोजन से हुई। महोत्सव का उदघाटन करते हुए मंत्री ने कहा कि कोसी की धरती का सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि काफी उर्वर रही है। कोसी इलाका में सुंदर कलाएं और कलाकारों की मौजूदगी है। महोत्सव में पहुंचे आदिवासी कलाकारों के बारे में कहा कि इनकी कलाएं मंत्रमुग्ध कर देनेवाली है। कार्यक्रम संयोजक प्रो. ओमप्रकाश भारती के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से ही कलाकारों और लोक कलाओं की जानकारी मिलती है। इसके लिए डॉ. भारती और बटोही संस्था धन्यवाद के पात्र है। उन्होंने कहा कि इन कलाकारों को आदिवासी नहीं बनवासी कहा जाना अच्छी बात है। कहा कि मधुबनी में 300 करोड़ रूपये की लागत से कला विवि खोला जाएगा जिसका लाभ कोसी और सीमांचल क्षेत्र ही नहीं, पूरे बिहार के कलाकारों को मिलेगा। इससे पूर्व संयोजक ने कला संस्कृति मंत्री को अंग वस्त्र, माला और प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। संयोजक ने कहा कि बिहार में 32 आदिवासी की जातियां रहती है। जिसे सूबे की सांस्कृतिक मुख्यधारा से जोड़ने के लिए यह आयोजन किया गया है। रंगकर्मी हरिशंकर गुप्ता के संचालन में चले महोत्सव में पूर्व विधायक सुरेंद्र यादव, पूर्व मुखिया भगवान झा, मुखिया नरेश यादव को चादर देकर सम्मानित किया गया। वहीं महोत्सव में साहित्यकार, मुक्तेश्वर मुकेश, रंगकर्मी सुधांशु शेखर, सतीश बादल, बटोही सचिव डॉ. महेंद्र कुमार, शिकू आनंद, कुंदन वर्मा, सज्जन सहित भाजपा नेता डॉ. रविद्र सिंह, कुश मोदी, रंजीत चौधरी, राजीव रंजन साह, त्रिलोक झा आदि मौजूद थे।

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कलाकारों को किया मंत्री ने सम्मानित
महोत्सव में कला संस्कृति मंत्री डा. आलोक रंजन ने डॉ. सोमनाथ यादव को आदिवासी मित्र साहित्य सम्मान एवं जीत राम हांसदा, छोटन उरांव, मेरी मूर्मू तथा विनोद बेसरा को आदिवासी कला रत्न से सम्मानित किया गया।
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आदिवासी लोक नृत्य पर झूमे कला प्रेमी
महोत्सव में आदिवासी लोक नृत्य की प्रस्तुति देख कला प्रेमी झूम उठे। नृत्य में खुशबू मूर्मू, सावित्री मरांडी, शिवनी बेसरा,वहीं विनीता हेम्ब्रम, पंकज मूर्मू, अशोक मूर्मू ने भाग लिया। वहीं असम से राभा समुदाय का संथार नृत्य को लोगों ने पसंद किया। जिसमें मधु स्मिता राभा, खुशन नाला, पल्लवी राभा, हेमंत, दिव्यज्योति ने भाग लिया। आरा की भोजपुर माटी की प्रस्तुति होली ने होली गीत- बहल फागुनी बयार, आय गैल फागुन महीना.. पर कलाकारों ने आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। मनोज सिंह सहित प्रज्ञा सिंह, ज्योत्सना, पूजा, निक्की, शालिनी श्रीवास्तव, राजा, वसंत, श्याम बाबू, किशन सिंह, अभय ओझा, संजय आदि थे। असम लोकगीत खुखसी तथा दोंग की प्रस्तुति की गयी। वहीं मधेपुरा से आए सृजन दर्पण के कलाकार विकास व सुमन कुमार ने विद्यापति की रचना- उगना रे मोर कते गेला.. की प्रस्तुति दी।
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