कैमूर में तालाब में नहाने के दौरान डूबने से बालक की मौत

कैमूर। कुदरा थाना क्षेत्र के नेवरास गांव में बुधवार को तालाब में नहा रहे नौ वर्षीय बालक की डूबने से मौत हो गई। मृत बालक का नाम मुकेश कुमार बताया गया है जो गांव के निवासी टुन्नू सिंह कुशवाहा का पुत्र बताया जाता है।

जानकारी के मुताबिक मुकेश सुबह में गांव के कुछ लड़कों के साथ गांव से पश्चिम में स्थित तालाब में नहाने चला गया। नहाने के क्रम में ही पानी में वह डूब कर दलदल में धंस गया। उसके बाद उसके साथ नहा रहे बच्चों ने भाग कर ग्रामीणों को इस बात की सूचना दी। ग्रामीणों ने तालाब के पास जाकर बच्चे के शरीर को ढूंढ कर पानी से निकाला, लेकिन तब तक उसकी जान जा चुकी थी।

माता-पिता का इकलौता बेटा था मुकेश
मुकेश अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। उसकी मौत की खबर मिलते ही गांव में कोहराम मच गया। जहां माता-पिता व स्वजनों का रो रो कर बुरा हाल था, वहीं पूरे गांव में मातम फैला हुआ था। पंचायत के मुखिया धर्मेंद्र कुमार सिंह पिटू, पूर्व मुखिया धीरज सिंह आदि सहित अनेक जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता शोक संतप्त परिवार को राहत व सांत्वना देने के लिए पहुंचे हुए थे। सूचना मिलने पर कुदरा थाना की पुलिस भी गांव में पहुंची जिसने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भभुआ भेज दिया।
स्कूल गया होता तो नहीं जाती जान
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मरने वाले बालक का गांव के स्कूल में नाम लिखाया गया था। वह तीसरी कक्षा का छात्र था। यदि वह स्कूल गया होता तो उसकी जान नहीं जाती। स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि मृत बालक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। गरीबी के कारण माता पिता बच्चे की पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं दे पाए और वह स्कूल न जाकर अन्य लड़कों के साथ नहाने चला गया।
जहान खां की बेटी के डूबने की है दंतकथा
जिस तालाब में डूबने से बालक की मौत हुई उसे स्थानीय लोगों के द्वारा भगड़ा कहा जाता है। कहा जाता है कि कुदरा प्रखंड मुख्यालय जहानाबाद बाजार के किनारे से होकर बहने वाली दुर्गावती नदी काफी पहले इस तालाब वाली जगह से ही होकर बहा करती थी। इलाके के तत्कालीन शासक जहान खां की बेटी इस नदी में डूब गई थी, जिससे कुपित होकर उसने दुर्गावती नदी की धारा को बांध बनाकर मुड़वा दिया था। नदी के मुड़ जाने के चलते उसका पूर्व मार्ग आसपास के गांवों में तालाब के रूप में बचा रह गया, जिसे स्थानीय बोलचाल की भाषा में भगड़ा कहा जाता है। बालू व मिट्टी की अवैध निकासी के चलते उसका स्वरूप अब काफी खतरनाक हो चुका है।
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